मध्यप्रदेश के धार जिले में शोधकर्ताओ ने एक अद्धभुत खोज की है। यह खोज दिल्ली यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिको द्वारा की गयी है। शोधकर्ताओ की मने तो यह खोज अब तक की साबसे दुर्लभ खोज में से एक है। बता दे की यह शोध मध्य प्रदेश के धार जिले के डायनासोर फॉसिल नेशनल पार्क में हुयी थी जिसमे शोधकर्ताओ को डायनासोर का एक अलग प्रकार का अंडा मिला है। इस अंडे की खास बात यह है की इस अंडे के भीतर भी एक अंडा पाया गया है। आज हम आपको इस मामले से जुडी कुछ मुख्य बाते बताने जा रहे है।
मध्य्प्रदेश के धार जिले में डायनासोर के अंडे के भीतर मिला एक और अंडा
आपको बता दे, दिल्ली यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम को मध्य प्रदेश से डायनासोर का दुर्लभ अंडा प्राप्त हुआ है। इस अंडे के भीतर एक और अंडा है। बता दे की यह अब तक का सबसे अद्भुत खोज माना जा रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह खोज ‘दुर्लभ और अहम है’ क्योंकि अबतक किसी भी रेप्टाइल के ‘अंडे में अंडा’ नहीं मिला था। जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स के नवीनतम संस्करण में इस खोज से जुडी सारी लेटेस्ट अपडेट प्रकाशित की गयी है।
Egg within an egg? 🦕🥚
#Indian researchers have uncovered a unique #dinosaur egg in #MadhyaPradesh that suggests dino reproduction was more like modern birds than reptiles.
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— The Weather Channel India (@weatherindia) June 24, 2022
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार,शोधकर्ताओ के द्वारा खोजै गया अंडा टाइटनोसॉरिड डायनासोर का बताया जा रहा है। इस रिसर्च में कुल 10 अंडे मिले, जिनमें से एक अंडा ऐसा है जिसके भीतर भी एक अंडा है। इस अनोखे से अंडे में दो गोलाकार शेल्स हैं और दोनों शेल्स के बीच दूरी है। बड़े अंडे का डायमीटर 16.6 सेंटीमीटर और छोटे अंडे का डायमीटर 14.7 सेंटीमीटर है। रिसर्चर्स का कहना है कि इस अंडे से यह पता चल सकता है कि क्या डायनासोर की प्रजनन प्रक्रिया,कछुए, छिपकलियों, मगरमच्छ और पक्षियों के जैसा था।
टाइटनोसॉरिड डायनासोर कौन थे
बता दे की मध्य भर में डायनासोर से फोसेल्स मिलने की अम्भावना काफी ज्यादा होती है। इसके अलावा पश्चिम भारत में भी डायनासोर के जीवाश्म मिलने की ज्यादा संभावना होती है। टाइटनोसॉरिड डायनासोर की बात करे तो तो यह 40 से 50 फीट लंबे डायनासोर हुआ करते थे। यह चार पैर पर चलने वाला डायनासोर थे। आपको बता दे की ये शाकाहारी हुआ करते थे। इसकी पूंछ और गर्दन लगभग समान लम्बाई की होती है। रिसर्चर्स आज तक इनकी पूरी खोपड़ी नहीं ढूंढ पाए हैं। कहा जाता है की इस प्रजाति के डायनासोर जमीन पर पाए जाने वाले अब तक के सबसे बड़े डायनासोर में से एक थे।