शनि को कर्म फल दाता माना जाता है शनि की दृष्टि से भी लोग बहुत ज्यादा डरते है और अगर शनि अपनी कृपा दृष्टि किसी पर बरसाते हैं तो वह इंसान बहुत ही भाग्यशाली होता है।
जानिए किन उपायों से शनि की तपस्या से जा सकता है बचा….
29 अप्रैल को शनि देव अपनी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे शनि के गोचर के कारण 2 राशियों के लोगों में शनि की ढैया शुरू हो जाएगी।
शनि की ढैया इन राशियों में होने जा रहा है शुरू….
ज्योतिष में नौ ग्रहों का वर्णन किया गया है इन 9 ग्रहों के अलग-अलग कारक है और प्रत्येक के अपने-अपने विभाग है शनि देव को कर्म का दाता और न्याय का देवता माना जाता है शनिदेव अपने कार्यों के आधार पर फल देते हैं वही शनि का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि शनि काम करने वालों को वही फल देते हैं अर्थात अच्छे कर्मों का अच्छा फल और बुरे कर्मों का बुरा फल।
आपको बता दें कि अगर कुंडली में शनि की स्थिति सही हो तो इसका मतलब सकारात्मक होता है वैसे भी शनिदेव अच्छे परिणाम देते हैं और व्यक्ति के सभी कार्य होते हैं आपके किसी भी कार्य में कोई बाधा नहीं है वहीं अगर किसी की कुंडली में शनि नकारात्मक हो तो जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस साल किस राशि के लोग शनि ढैया के शिकार होंगे।
मिथुन और तुला राशि पर ढैय्या का सबसे अधिक प्रभाव…
शनि इस समय मकर राशि में गोचर कर रहे हैं इस दौरान मिथुन और तुला राशि के लोगों के लिए शनि ढैया जारी है वहीं 29 अप्रैल तक शनि कुंभ राशि में परिवर्तन करेंगे शनि के इस राशि में गोचर करते ही मिथुन और तुला राशि के लोग शनि ढैया से मुक्त हो जाएंगे वहीं दूसरी और कर्क और वृश्चिक राशि के लोग इनके चंगुल में रहेंगे आपको बता दें कि शनि ढैया की अवधि ढाई साल होती है।
शनि इस समय मकर राशि में गोचर कर ररहे है। इस दौरान मिथुन और तुला राशि के लोगों के लिए शनि ढैया जारी है। वहीं 29 अप्रैल तक शनि कुंभ राशि में राशि परिवर्तन करेंगे। शनि के इस राशि में गोचर करते ही मिथुन और तुला राशि के लोग शनि ढैया से मुक्त हो जाएंगे। वहीं दूसरी ओर कर्क और वृश्चिक राशि के लोग इनके चंगुल में रहेंगे। आपको बता दें कि शनि ढैया की अवधि ढाई साल की होती है।
आइए जानते है आखिर क्या है साढ़ेसाती और ढैया, क्यों है सावधान रहने की जरूरत….
वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि साढेसाती के तीन चरण होते हैं जिनमें प्रत्येक चरण की अवधि ढाई वर्ष होती है जातक को पहले चरण में मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और ऐसा माना जाता है कि उसके चेहरे में शनिदेव का वास होता है इसलिए उसे नाक आंख कान मस्तिष्क और मुंह से संबंधित रोग हो सकते हैं वही दूसरे चरण में मानसिक आर्थिक और शारीरिक कष्टों के साथ-साथ उनका सामना भी करना पड़ता है और तीसरे चरण में कष्ट कुछ कम होने लगते हैं ऐसा माना जाता है कि साढेसाती के अवतरण के दौरान कुछ लाभ होने की संभावना है।