आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि एक पखवाड़े में दो ग्रहण का होना शुभ नहीं होता हैं। एक पखवाड़े में दो ग्रहण का होना सिर्फ एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए अशुभ होता हैं।
जब महाभारत की युद्ध हुई थी तब भी मात्र 15 दिनों के भीतर दो सूर्य ग्रहण लगा था। उस वक्त इसके प्रभाव के कारण महाभारत में भीषण युद्ध हुआ और लाखों लोगों की जान भी चली गई।
इस बार एक पखवाड़े में दो ग्रहण के हैं आसार
पंडित शिवपुजन चतुर्वेदी के अनुसार इस समय भी दुनिया में भारी तनाव हैं। दुनिया विश्व युद्ध के कगार पर खड़ी हैं। लोगों की सोच मानवता के प्रति डगमगाने लगी है। विश्व कई सारी समस्याओं से घिरा हुआ है। जिसका कोई हल होता दिखाई नहीं दे रहा है।
वेद ही अब बचा सकती है दुनिया को
पंडित शिवपुजन चतुर्वेदी के अनुसार इन सब समस्याओ के हल ढूंढने के लिए वेदों की शरण में जाने के अलावा अब कोई दुसरा मार्ग नहीं बचा है। पंडित शिवपुजन चतुर्वेदी के अनुसार वेदों में दुनिया के माहाविनाश को रोकने और अनिष्ट चीजों को घटित होने से रोकने के लिए अचूक मंत्र दिए गए हैं। मंत्रों के साथ-साथ यज्ञ करने के भी विधान हैं। इन मंत्रों और यज्ञों के जरिए हम विश्व को बचा सकते हैं।
25 अक्टूबर के दिन काशी में इस समय लगेगा सूर्यग्रहण
शाम 04:42 बजे से स्पर्श
शाम 05: 02 बजे से मध्यकाल
शाम 05: 22 बजे से मोक्षकाल
शाम 05: 37 बजे से सूर्यास्त
बता दें कि सूर्यग्रहण सूर्यास्त से 15 मिनट पहले ही समाप्त हो जाएगा।
वैसे तो सूर्यग्रहण की कुल अवधि 7 घंटा 5 मिनट तक है। लेकिन काशी में सूर्यग्रहण मात्र 40 मिनट का है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 8 नवम्बर को खग्रास चंद्रग्रहण होगा।
सूर्यग्रहण का इन-इन राशियों पर परेगा प्रभाव
बता दें कि इस वर्ष सूर्यग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव तुला राशि पर पड़ेगा। अन्य राशियों पर इस सूर्यग्रहण का कैसा प्रभाव पड़ेगा, आईए जानते हैं।
अन्य राशियों पर सूर्य ग्रहण के प्रभाव इस तरह से हैं:-
मेष राशि: स्त्री पीड़ा
वृष: सौख्य
मिथुन: चिन्ता
कर्क: व्यथा
सिंह: श्रीप्राप्ति
कन्या: क्षति
तुला: घात
वृश्चिक: हानि
धनु: लाभ
मकर: सुख
कुम्भ: माननाश
मीन: मृत्यतुल्य कष्ट।
सूतक का समय
इस बार का सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर को है। सूर्य ग्रहण का समय शाम 4:42 बजे से 5:22 बजे तक रहेगा। सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा। यानी 24 अक्टूबर से ही सूर्य ग्रहण शुरू हो जाएगा। बता दें कि सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं।
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