क्या आप जानते हैं कि हमारे देश का आखरी गाँव कौन सा हैं. अगर नहीं तो आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताएँगे कि वो कौन सा गांव हैं जिसको देश का आखरी गांव माना जाता हैं. इसके साथ ही साथ आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से इस गांव के बारे में कुछ बहुत ही रोचक और आश्चर्यचकित करने वाले बाते बताएंगे। तो आईये जानते हैं कि कौन सा हैं देश का आखरी गांव और क्या है इस गांव की रोचक बाते।
हिमाचल प्रदेश में स्थित हैं देश का आखरी गांव
आपको बता दे कि देश का आखरी गांव हिमाचल प्रदेश में स्थित हैं. यह गांव दुनिया के शोर-शराबे से बिल्कुल ही दूर हैं. इस गांव को हमारे देश का आखरी गांव कहने के साथ-साथ आप यह भी यह सकते हैं कि यहाँ ही देश का आखरी बस स्टैंड, पोस्ट ऑफिस, स्कूल और ढाबा इत्यादि हैं. इस गांव के रीती-रिवाज़ हमारे देश के रीती-रिवाज़ से बिल्कुल ही अलग हैं.
महिलायें करती हैं चार-चार शादियाँ
बता दे कि यह गांव चीन-तिब्बत की सीमा पर मौजूद हैं. इस गांव में देवी पूजा को महत्व दिया जाता हैं. यहाँ कि महिलाओं को यह अधिकार है कि वह दो या दो से ज्यादा पुरूषों से शादी कर सकती हैं. लेकिन देवी की पूजा करने वाले ये लोग बेटियों को उनके पिता की सम्पति में कोई अधिकार नहीं देते। यह बात सुनकर तो आप और भी चौंक जाओगें कि अगर यहाँ के लोगों के खाने में बाहरी लोगों की परछाई पड़ जाये तो ये लोग अपना खाना फेक देते हैं.
भारत-तिब्बत के बोर्डर पर स्थित हैं यह गांव
अब हम आपको बता देते हैं कि ऐसे अजीबो-गरीब नियम रखने वाले इस गांव का नाम क्या हैं. बता दे कि देश के इस आखरी गांव का नाम ‘छितकुल’. छितकुल भारत-तिब्बत ओल्ड रोड पर सांगला से 28 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव हैं. यह गांव भारत-चीन के बॉर्डर से 60 किलोमीटर दूर हैं.
छितकुल की संस्कृति हैं भारत से बिल्कुल अलग
अगर हम छितकुल की संस्कृति, रीती-रिवाज, रहन-सहन और खान-पान की बात करें तो इन सब मामलों में कई ऐसी चीजें है जो भारत से बिल्कुल ही अलग हैं. यहाँ देश के बाकी हिस्सों की तरह ‘हिन्दू मैरेज एक्ट’ और ‘सेक्शन एक्ट’ लागू नहीं होता हैं. यहाँ महिलायें 4 शादी कर सकती हैं. आपको बता दे कि ज्यादातर मामलों में महिलायें एक ही घर के एक 2 या 4 भाईयों से शादी कर लेती हैं. हालॉंकि ऐसा जरुरी नहीं है कि महिलायों को एक से ज्यादा शादी करनी ही होगी।
महाभारत काल की संस्कृति और परंपरा मानते हैं
आपको बता दे कि छितकुल में ये परंपरा महाभारत काल से हैं. ऐसा माना जाता है कि, महाभारत काल के दौरान पांडव जब अज्ञातवास पर थे, तब वे छितकुल आए थे। और यही पांडवों ने सर्दियों के दौरान गांव की एक गुफा में द्रौपदी और कुंती के साथ कुछ वक्त बिताया था। कुंती को देखने के बाद ही बाद में यहां के स्थानीय लोगों ने भी कई पतियों वाली परंपरा को अपना लिया। इसे स्थानीय भाषा में ‘घोटुल प्रथा’ भी कहते हैं।
चार पतियों के साथ ऐसे करती हैं मैनेज
ये सोचने वाली बात हो सकती हैं कि कोई महिला अपने इतने सारे पत्तियों के साथ मैनेज कैसे करती हैं. तो आईये हम आपको बताते हैं कि यहाँ की महिलायें इन सब चीजों को मैनेज कैसे करती हैं. बता दे कि शादी के बाद अगर कोई भाई पत्नी के साथ कमरे में है, तो वह कमरे के दरवाजे के बाहर अपनी टोपी रख देता है। जो इस बात की पहचान है कि पति-पत्नी एकांत चाहते हैं। ऐसे में उसके दूसरे पति कमरे में नहीं जा सकते।