हिन्दू धर्म में 108 अंक का एक अलग शास्त्र है. हिन्दू धर्म में इसे बहुत ही पवित्र और पावन मन गया है. रुद्राक्ष की माला में 108 अंक होते हैं और मंत्रों का जाप भी 108 बार किया जाता है. भगवान का नाम 108 बार लेने को शुद्ध और संपूर्ण माना गया है. हिन्दू धर्म में 108 अंक की अलग महत्वता है लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है ? आखिर क्यूँ हिन्दू धर्म में 108 अंक को शुभ माना गया है ? क्या आपने कभी इसके पीछे के राज़ के बारे में जानने की कोशिश करी है? तो चलिए आपके प्रश्नों के उत्तर देते हुए बताते हैं की हिन्दू धर्म में 108 अंक को इतनी महत्वता क्यूँ मिलती है.
108 अंक का महत्व
108 अंक को केवल हिन्दू धर्म में नही बल्कि कई और धर्मों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. हिन्दू धर्म के अनुसार कृष्णा के साथ 108 गोपियों का ज़िक्र किया गया है. महादेव का नृत्य तांडव में भी 108 मुद्राएं होती हैं. अगर बात करें वैष्णव धर्म की तो इसमें विष्णु के 108 दिव्यों को बताया गया है. कहते है मनुष्य में कुल 108 भावनाएं होती हैं जिसमे 36 भावनाओं का संबंध हमारे अतीत से , 26 भावनाओं का वर्तमान से और 26 भावनाओं का संबंध भविष्य से होता है.
विज्ञान के अनुसार 108 डिग्री फेरनहाईट मानव शरीर का आतंरिक तापमान होता है. इससे अधिक गर्म होने से मानव शरीर के अंग विफल हो सकते हैं. हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं का 108 बार नाम जाप किया जाता है जिसे अष्टोत्तर नामावली कहते हैं. अमृत मंथन के समय 54 देव और 54 राक्षश मोजूद थे. कहा जाता है की मानव शरीर में कुल 108 बिंदु पाई जाती हैं जिसमें जीवन शक्ति की ऊर्जा केन्द्रित होती है जिसको ‘मर्म’ बोला जाता है.
हिन्दू धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है
इस तरह हिन्दू धर्म में 108 अंक का महत्व हर जगह पर पाया जाता है. हिन्दू धर्म के अनुसार हर किसी कहानी के पीछे राज़ या महत्व छिपा हुआ होता है जिससे हम परिचित नहीं होते. हिन्दू धर्म एक बहुत पवित्र और शुद्ध धर्म माना गया है जिसमें सभी देवी देवताओं को पूजा जाता है. विश्व का सबसे पुराना धर्म हिन्दू धर्म है जिसमें 33 करोड़ देवी देवता पाए जाते हैं.
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