भारत से सबसे बड़े उद्योग्पती और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा जन्म 28 सितम्बर 1937 को हुआ था. वह 1990 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष थे. रतन टाटा बड़े ही नेक दिल के इन्सान हैं. वो हमेशा जरुरतमंद लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं. जिस वजह से लोग उनका और भी ज्यादा सम्मान करते हैं. रतन टाटा हमेशा दान-पुन्य का काम करते हैं. हाल ही में उन्होंने ऐसा ही एक और नेक काम किया हैं.
28 सितम्बर को रतन टाटा ने बुजुर्गों की सेवा के लिए ‘गुड फेलोज’ में निवेश करने की घोषणा की हैं.इस खास मौके पर उन्होंने अपनी जीवन से जुड़ी कई बातें शेयर की. उन्होंने यह भी बताया कि अकेलापन का अनुभव कैसा होता हैं.
बुजुर्ग लोगों से जुड़े फाउंडेशन में किया निवेश
आपको बता दे ‘गुड फेलोज’ स्टार्टअप के स्थापना शांतनु नायडू ने की थी. वो पहले टाटा संस के जनरल मेनेजर थे. उनको रतन टाटा के बहुत ही करीबी माना जाता था. इनका ये स्टार्टअप युवाओं को बूढ़े लोगों का सहारा बन्ने में मदद करता हैं. इस स्टार्टअप में युवाएं बूढ़े लोगों की अनेक तरीकों से मदद करेंगे. जैसे अख़बार पढने में, उनके सोने में, उनके छोटी-मोटी कामों में सहारा बन्ने में.
अपने अकेलेपन के दर्द को किया बयाँ
रतन टाटा ने अकेलेपन पर बात करते हुए बताया कि आपको तब तक अकेले होने का मतलब समझ में नहीं आता. जब तक आप एक साथी की चाह में अकेलापन खुद महसूस नहीं करते हैं. आपको बूढ़े होने से जरा भी डर नहीं लगता लेकिन जैसे ही आप बूढ़े होने लगते हैं, तब आपको थोरा-थोरा समझ में आने लगता हैं कि दुनिया वाकई काफी जटिल हैं. जब तक आप पुरी तरह से बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़े होने में जरा भी मन नहीं लगता हैं. बुजुर्गों के अकेलेपन को दूर करने के लिए ऐसे स्टार्टअप की जरुरत थी. इससे जुड़ना मेरे लिए बेहद खुशी की बात हैं.
प्यार हासिल नहीं हुआ रतन टाटा को
रतन टाटा के निजी जिन्दगी की बात करे तो उन्हें उनका प्यार नहीं मिल पाया था. उन्हें नौकरी के दौरान एक लड़की से प्यार हुआ था. लेकिन रतन टाटा की उनसे शादी नहीं हो पाई थी.
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