भारत में हनुमान जी को मानने वालों भक्तों की संख्या लाखों करोड़ो में हैं. सप्ताह के दो दिन मंगलवार और शनिवार भगवान हनुमान के पूजा का दिन माना जाता हैं. भगवान् हनुमान के सभी भक्त लगभग हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. ऐसा माना जाता हैं कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
बता दे कि हनुमान चालीसा में अष्ट सिद्धियों के बारे में बताया गया हैं. जो भी हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं होगें उन्हें इस बारे में जरूर पता होगा। ये अष्ट सिद्धियां बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं. तो आईये जानते हैं कि आखिर कौन-कौन सी होती हैं ये अष्ट सिद्धियां।
1. अणिमा:-
अष्ट सिद्धियों में पहली अष्ट सिद्धि हैं अणिमा। अणिमा सिद्धि की सहायता से आप अपने शरीर को अणु जितना छोटा बना सकते हैं. इस सिद्धी का उपयोग हनुमान जी ने तब किया था जब वह माता सीता की खोज में लंका जा रहे थे. लंका जाते समय हमुमान जी का सामना सुरसा नामक एक विशाल मुख वाले राक्षस से हुआ. जिससे निपटने के लिए हनुमान जी ने इस सिद्धी का उपयोग करते हुए छोटा रूप धारण कर लिया था और इस राक्षस से बच निकले थे.
2. महिमा:-
अष्ट सिद्धियों में दुसरी अष्ट सिद्धि हैं महिमा। महिमा सिद्धि की सहायता से आप अपने शरीर को जितना चाहे उतना भारी तथा विशाल बना सकते है। जब सीता माता की खोज में एक विशाल समुद्र को पार करने की नौबत आई थी तब जामवंत जी ने हनुमान जी को उनके अंदर मौजूद इस सिद्धी का स्मरण कराया था. फिर इस सिद्धी की मदद से हनुमान जी ने अपना आकार बहुत बड़ा कर लिया और बड़ी आसानी से उस विशाल समुद्र को एक ही छलांग में ही पार कर लिया था।
3. गरिमा:-
इस सिद्धी की महिमा को समझाने के लिए हम आपको महाभारत काल में ले चलते हैं. पांडवों के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे। इन पांच भाइयों में सांसे शक्तिशाली थे भीम. भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बहुत घमंड था. भीम के घमंड को देखते हुए हनुमान जी ने उनके घमंड को तोड़ने की सोची। इसके लिए उन्होंने भीम के गुजरने वाले रस्ते में एक बूढ़े व्यक्ति का वेश बनाकर अपनी पूंछ फैलाकर लेट गए. जब भीम उस रस्ते से गुजरे तो रास्ता पार करने के लिए उन्होंने बड़े की घमंड से कहा अपनी पूंछ हटाओ। इस पर हनुमान जी ने कहा मैं बहुत ही बूढ़ा हूँ अपनी पूंछ हटा नहीं सकता। अगर तुम्हे जाना है तो तुम ही मेरी पूंछ हटा दो. फिर क्या था भीम अपने बल का घमंड दिखते हुए हनुमान जी की पूंछ को हटाने में जुट गए. लेकिन वह पूंछ को टस से मस भी नहीं कर पाए. हनुमान जी के पूंछ को टस से मस ना कर पाने की वजह से भीम का घमंड टूट गया और उन्होंने अपनी गलती के लिए हनुमान जी से क्षमा मांगी। यह थी गरिमा सिद्धी।
4. लघिमा:-
अष्ट सिद्धियों में चौथी अष्ट सिद्धि हैं लघिमा। इस सिद्धी की सहायता से आप अपने शरीर को रुई के जितना हल्का बना सकते हैं. इस सिद्धि की सहायता से आप तिनके की तरह हवा में उर भी सकते हैं. जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका में गिरफ्तार हो गए थे. तब उन्होंने इस सिद्धि की सहायता अपने शरीर को अत्यंत हल्का कर लिया था और रस्सी की गिरफ़्त से निकलकर पुरे लंका में आग लगा दी थी. इसी सिद्धि के ही सहायता से वह एक जगह से दुसरी जगह भी आराम से उछलकर जा रहे थे.
5. प्राप्ति:-
अष्ट सिद्धियों में पांचवी अष्ट सिद्धि हैं प्राप्ति। इस सिद्धि की सहायता से आपको आपका कोई भी मनोवांछित फल प्राप्त हो सकता हैं. जब माता सीता को रावण हरण करके लंका ले गया था. तब वानरों के राजा सुग्रीव ने सीता माता की खोज में अपनी पूरी वानर सेना को लगा दिया था. लेकिन फिर भी माता सीता का कोई भी पता नहीं चल पाया था. फिर हनुमान जी ने ‘प्राप्ति सिद्धि’ का प्रयोग करते हुए माता सीता को ढूंढा था.
6. प्रकाम्य:-
अष्ट सिद्धियों में छठी अष्ट सिद्धि हैं प्राकाम्य। इस सिद्धि की सहायता से आप कोई सा भी रूप धारण करके किसी भी स्थान पर पहुँच सकते हैं. इस सिद्धि का उपयोग हनुमान जी ने तब किया था जब वह लंका में विभीषण से मिले थे. विभीषण से मिलने के समय हनुमान जी ने इस सिद्धि का उपयोग कर ब्राह्मण का रूप धारण कर लिया था. फिर बाद में उन्होंने विभीषण को अपने असली रूप में दर्शन दिया था. इसके साथ ही साथ इस सिद्धि को लेकर एक और किस्सा मशहूर हैं। बात तब कि है जब भगवान राम का वनवास ख़त्म होने वाला था. तब हनुमान जी एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण कर के भरत को यह खुशखबरी देने गए थे.
7. ईशित्व:-
अष्ट सिद्धियों में सातवीं अष्ट सिद्धि हैं ईशित्व। अगर आप किसी माया को अपने अनुसार चलाना चाहते हैं तो वह इसी सिद्धि में मुमकिन हैं. जब राम जी का युद्ध रैवण के साथ चल रहा था तब मेघनाथ ने हनुमान जी को बंदी बनाने के लिए ‘ब्रह्मशास्त्र अस्त्र’ का प्रयोग किया था. तब हनुमान जी ने ब्रह्मास्त्र की शक्ति का मान रखने के लिए स्वयं ही इच्छानुसार उसमे बंधे थे.
8. वशित्व:-
अष्ट सिद्धियों में आखिरी सिद्धि हैं वशित्व। इस सिद्धि का अर्थ होता हैं खुद को वश में करना। इस सिद्धि कि वजह से ही हनुमान जी अखण्ड ब्रह्मचारी हैं. इस सिद्धि की वजह से ही हनुमान जी को अपनी इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण हैं. माता सीता की खोज में हनुमान जी रावण के अन्तःपूर्ण में भी गए थे जँहा सिर्फ स्त्रियाँ ही रहती थी. इतनी स्त्रियों के होने के बावजूद हनुमान जी ने किसी को नहीं देखा उनकी नज़रें सिर्फ माता सीता को ढूढ़ रही थी.
ये थी वो आठ सिद्धियाँ जो आप हनुमान चालीसा में पढ़ते हैं. हनुमान चालीसा के अंत में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरिसा।