आप में से कईयों ने हॉलीवुड फिल्म ‘मैट्रिक्स’ का नाम सुना होगा। अगर नहीं सुना तो हम आपको बता दें कि यह फिल्म साल 1999 में आई थी। बता दें कि इस फिल्म में एक बहुत ही हैरान कर देने वाली चीज दिखाई गई थी। इस फिल्म में दिखाया गया था कि मशीन का उपयोग करके इंसानों को पैदा किया जा रहा है। जिसे देखकर लोग हैरान रह गए थे।
क्या यह सच में संभव है कि बिना किसी महिला के गर्भ के बच्चे को पैदा किया जा सकता है? इसका जवाब साइंटिस्ट और फिल्म मेकर हाशम अल-घाइमी ने दिया। हाशम ने कहा कि यह पॉसिबल है कि आप बिना मां के गर्भ से बच्चे पैदा कर सकते हैं। हसन ने कहा कि उनकी कंपनी ‘एक्टोलाइफ’ एक विशेष तरह का पाॅड तैयार कर रही है जिसमें बच्चों को जन्म दे पाना संभव होगा।
बता दे कि यह पाॅड एक तरह का मशीन होगा। तो आइए जानते हैं कि क्या है यह बेबी पाॅड और कैसे इससे बच्चे पैदा हो सकते हैं?
कौन है हाशम जिसने असंभव को संभव किया है
आपको बता दें कि यह दावा करने वाले हासम जर्मनी के रहने वाले हैं। हसन एक फिल्म प्रोड्यूसर के साथ-साथ साइंटिस्ट भी है। हासन कहते हैं कि उनकी कंपनी ‘एक्टोलाइफ’ इस दुनिया की पहली कंपनी होगी जो आर्टिफिशियल बच्चे को पैदा करेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के साइंटिस्ट 50 सालों से इस असंभव को संभव करने की कोशिश की है। हाशन ने आगे कहा कि शुरुआत में इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए 75 लैब बनाए गए हैं जिसमें 400 बेबी पाॅड लगाए गए हैं। और इसके जरिए करीब 30हजार बच्चे पैदा होंगे।
कैसे बच्चे पैदा करेगा यह बेबी पाॅड
बता देगी बेबी पाॅड एक मशीन है। इसके जरिए बिना बच्चेदानी के बच्चे पैदा हो सकते हैं। इस पाॅड को एक महिला के गर्भ के जैसे तैयार किया गया है। इसे आप आर्टिफिशियल गर्भ भी कह सकते हैं।
ऐसे पैदा होंगे बच्चे बेबी पाॅड के जरिए
अगर कोई महिला पुरुष की फरटलिटी के कारण मां नहीं बन सकती है तो वह इस तकनीक का सहारा ले सकती है। इस मशीन से बच्चे पैदा करने के लिए महिला के एग पुरुष के स्पर्म से मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद यह मशीन एक महिला के गर्भ की भांति ही काम करने लगता है।
नेचुरल गर्व से यह आर्टिफिशियल गर्व किस तरह अलग है
हाशम ने इस पर बात करते हुए कहा कि यह बेबी पाॅड टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस होगी कि कोई सोच भी नहीं सकता। मां-बाप इस टेक्नोलॉजी के जरिए जैसा बच्चा चाहे वैसा बच्चा पैदा कर सकते हैं। इस आर्टिफिशियल बेबी पाॅड के जरिए आप बच्चे का आंखो का रंग, बुद्धि स्तर, चेहरे का रंग, बाल, उसकी ऊंचाई सब कुछ अपने मन मुताबिक करवा सकते हैं।
किस वजह से आर्टिफिशियल गर्भ लाया गया
इस सवाल का जवाब देते हुए हासन ने कहा कि यह आर्टिफिशियल बेबी पाॅड घटती जनसंख्या वाले देश जैसे कि जापान, बुलगेरिया, दक्षिण कोरिया की घटती जनसंख्या के समस्या को सॉल्व करेगा। के अलावा जो कपल माता-पिता नहीं बन सकते वह इस तकनीक का उपयोग करके माता-पिता बन सकते हैं।
बेबी पाॅड के जरिए किस किस जगह बच्चे पैदा कर सकते हैं?
इस सवाल का जवाब देते हुए हाशम कहते हैं कि अगर किसी दंपत्ति के पास इतना समय नहीं है कि वह लैब में आकर अपने पल रहे बच्चे की देखभाल कर सके। तो वह इस बेबी पाॅड को अपने घर ले जा सकते हैं और अपने बच्चे की वहीं पर देखभाल कर सकते हैं। इस बेबी पॉड में बैटरी लगी होती है जिससे सावधानी से रखना जरूरी होता है।
आर्टिफिशियल गर्ल से बच्चा पैदा करने की समस्या क्या-क्या है?
आपको बता दें कि जब इस बेबी पाॅड में पुरुष का स्पर्म और महिला के एग को मिलाया जाता है तो शुरुआती के 10 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हीं 10 दिनों में स्पर्म और एग मिलकर एक बच्चे का रूप धारण करते हैं। स्पर्म और एक से मिलकर बच्चे का रूप धारण करने के पीछे का साइंस अभी तक क्लियर नहीं हो पाया है। ऐसे में इस नेचुरल प्रोसेस को आर्टिफिशियल तरीके से अपनाना बहुत ही चुनौती भरा काम है।
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