जैसा की आप सभी जानते ही होंगे की शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘पठान’ का एक गाना ‘बेशर्म रंग’ हाल ही में रिलीज़ किया गया. शाहरुख़ और दीपिका पादुकोण का यह गाना आते से ही कंट्रोवर्सी में घिर गया. आपको बता दे कि यह गाना दीपिका पादुकोण के भगवा रंग के बिकनी पहनने और गाने में आजमाए गए कुछ आपत्तिजनक सीन्स के कारण विवादों में घिरा। बता दे कि यह विवाद इतना बढ़ चूका हैं कि लोग इस फिल्म को बॉयकॉट करने के साथ ही साथ बैन करने की भी मांग कर रहे हैं.
बॉलीवुड के सितारें आये ‘पठान’ के सपोर्ट में
इस फिल्म को बैन करने की मांग सबसे ज्यादा धार्मिक संगठन के लोग कर रहे हैं. आपको बता दे कि धार्मिक संगठनो के साथ-साथ जहाँ कई और लोग इस फिल्म के विरोध में हैं. वहीं कई लोगों ने इस फिल्म को सपोर्ट भी किया हैं. बता दे कि कई बॉलीवुड सितारों ने भी इस फिल्म को सपोर्ट करते हुए अपनी आवाज़ उठाई हैं और बिना किसी दर के शाहरुख खान के इस फिल्म को सपोर्ट किया हैं.
रत्ना पाठक ने किया शाहरुख़ खान की फिल्म को सपोर्ट
शाहरुख खान के इस फिल्म को सपोर्ट करने के लिस्ट में अब एक और सेलेब्रेटी का नाम जुड़ गया हैं. आपको बता दे कि अब रत्ना पाठक ने भी ‘पठान’ का सपोर्ट किया हैं. बता दे कि हाल ही में रत्ना पाठक का एक इंटरव्यू हुआ. अपने इस इंटरव्यू में रत्ना पाठक ने शाहरुख़ खान के फिल्म ‘पठान’ को ट्रोल करने वालों की जमकर क्लास लगाई।
रत्ना के शाहरुख की फिल्म को ट्रोल करने वालों को कहा
आपको बता दे कि अपने इंटरव्यू में रत्ना पाठक ने ‘पठान’ फिल्म को ट्रोल करने वाले लोगों को जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही साथ रत्ना पाठक ने यह भी कहा कि, ‘वह उस दिन का इंतज़ार कर रही है, जब नफ़रत आखिकार लोगों को थका देगी।’ आपको बता दे कि रत्ना पाठक ने ये सारी बात अपनी पहली गुजराती फिल्म ‘कच्छ एक्सप्रेस’ के प्रमोशन के दौरान कही.
रत्ना ने कहा, ‘खाने को खाना नहीं है और कपड़ो पर….’
आपको बता दे कि अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान रत्ना पाठक ने ‘पठान’ फिल्म के गाने को लेकर चल रहे विवाद को लेकर कहा कि, ‘लोगों के पास अपनी थाली में खाना नहीं है, लेकिन कोई और जो कपड़े पहन रहा है उसके बारे में वह लोग गुस्सा कर सकते हैं।’ जब एक इंटरव्यूअर ने रत्ना से यह सवाल किया कि ‘किसी कलाकार को पता चलता है कि उसकी ड्रेस पूरे देश का मुद्दा बन गई है, तब उसे कैसा महसूस होता है?’ इंटरव्यूअर के इस सवाल का जबाब देते हुए रत्ना ने कहा, ‘अगर ये चीजें आपके दिमाग में सबसे ऊपर हैं तो मैं कहूंगी कि हम बहुत मूर्खतापूर्ण समय में जी रहे हैं। यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसके बारे में मैं बहुत ज्यादा बात करना चाहूंगी या इसे ज्यादा महत्व दूंगी।’
‘इंसान हद से ज्यादा नफरत बर्दाश्त नहीं कर सकता’
इन सब सवाल-जबाब के बाद रत्ना पाठक ने अपनी बात को ख़त्म करते हुए कहा कि, ‘लेकिन मैं उम्मीद कर रही हूं कि भारत में इस समय जितने समझदार लोग दिखाई दे रहे हैं, उससे कहीं अधिक हैं। वे आने वाले समय में निकल आएंगे, क्योंकि जो हो रहा है, यह भय की भावना, बहिष्कार की भावना ज्यादा समय तक रहने वाली नहीं है। मुझे लगता है कि इंसान एक हद से ज्यादा नफरत को बर्दाश्त नहीं कर सकता। एक विद्रोह होता है, लेकिन कुछ समय बाद आप इस घृणा से थक जाते हैं। मैं उस दिन के आने का इंतजार कर रही हूं।’