यह तो आपने सुना होगा कई मां बाप अपने बच्चों की जल्दी शादी करवा देते है यू कहे तो यह बाल विवाह भी कहा जाता है इसी प्रकार यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने नाम रोशन कर दिया है पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती बाल विवाह की सबसे बड़ी खामी थी कि इसमें बाल अवस्था में ही वर-वधू की शादी हो जाती थी जिसके कारण लड़के और लड़कियों का भविष्य खराब हो जाता था कोई भी सपना उनका साकार नहीं हो पाता था आज हम बात करेंगे राजस्थान जयपुर जिले की चौमू क्षेत्र के री करेरी गांव के बारे में यहां की रहने वाली है रूपा यादव जिनकी शादी मात्र 8 साल की उम्र में हो गई थी और वही उनके पति की उम्र 12 साल थी इतनी कम उम्र में भी अपनी पढ़ाई को जारी रखने की मेहनत ना सिर्फ उन्होंने बल्कि उनके पति ने भी उनका फुल सपोर्ट किया वह पढ़ने में काफी होशियार थी आगे चलकर उनका दाखिला सरकारी कॉलेज में हुआ तो चलिए बताते हैं रूपा यादव की आगे की सफलता।
तो आइए जानते हैं रूपा यादव के संघर्ष की कहानी
दोनों सगी बहनों की शादी दोनों सगे भाइयों से ही हुई एक का नाम रूपा यादव और दूसरी का रुकमा देव दोनों सगी बहने थी दोनों की शादी सगे शंकरलाल और बाबूलाल से हुई रूपा यादव शादी के बाद जब दसवीं क्लास में पढ़ती थी तो उन का गोना हो गया था दसवीं करने के बाद जब वह ससुराल गई तो उन्हें पता चला कि दसवीं के रिजल्ट में उनके 84 परसेंट अंक आए हैं इसके बाद रूपा यादव के ससुराल में यह चर्चा होने लगी कि लड़की पढ़ाई में बहुत तेज है जिसके कारण उनके जीजा बाबूलाल ने आगे की पढ़ाई के लिए उनका दाखिला एक प्राइवेट स्कूल में करवा दिया 11वीं में 81 परसेंट और 12वीं में 84 परसेंट अंक आए।
टैक्सी चलाकर पति ने उठाया पड़ाई का खर्च
रूपा यादव के ससुराल वाले उनके घर वालों की तरह ही छोटे किसान थे यूं कहें तो अमीर नहीं थे खेती से इतनी आमदनी नहीं हो पा रही थी कि वे रूपा की शिक्षा का खर्चा उठा सकें फिर उनके पति ने टैक्सी चलानी शुरू कर दी और जो भी कमाई होती थी वह रूपा या यादव के पढ़ाई में लगाते गए खेती और टैक्सी के कुछ आमदनी से हुई रूपा की आगे की पढ़ाई।
चाचा के हार्ट अटैक से मौत होने पर खुद डॉक्टर बनने का संकल्प लिया रूपा के डॉक्टर बनने के पीछे भी एक कहानी छुपी हुई है पढ़ाई के दौरान उनके चाचा को हार्ट अटैक आया था जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी तभी से रूपा यादव ने उठा लिया था कि वह डॉक्टर बनेगी उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से कर दिखाया।
कोटा में रहकर की मेडिकल की तैयारी
12 वीं में अच्छे अंक लाने के बाद रूपा (Roopa Yadav) के जीजा बाबूलाल ने किसी परिचित के कहने पर कोटा के एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में रूपा का प्रवेश दिलवाया। वहाँ वह रोजाना 8 से 9 घंटे सेल्फ स्टडी करती थी। रूपा बताती हैं कि कोटा में जब वे पढ़ने आई तो वहां का माहौल सकारात्मक और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाला था। शिक्षक बहुत मदद करते थे। कोटा में रहकर एक साल मेहनत करके वे लक्ष्य के बहुत करीब पहुँच गई। उनके एक साल तैयारी के बाद नम्बर नहीं आया। अब आगे पढ़ने में फिर फीस की दिक्कत सामने आने लगी। इस पर रूपा के द्वारा पारिवारिक हालात बताने पर संस्थान द्वारा 75 प्रतिशत फीस माफ कर दी गई। इसके बाद उन्होंने फिर से दिन-रात मेहनत की तथा 603 अंक प्राप्त किए। उनका नीट रैंक 2283 ।
एमबीबीएस पड़ाई के लिए कोचिंग संस्थान ने की पूरे 4 सालों तक छात्रवृत्ति की घोषणा रूपा यादव जिस कोचिंग में पढ़ती थी वहां के कोचिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने रूपा यादव का गुनगान करते हुए बताया कि, “हम रूपा यादव और उनके परिवार के जज्बे को सलाम करते हैं। रूपा ने जो असाधारण परिस्थितियों के बावजूद जो कामयाबी हासिल की है, वो सबके लिए एक प्रेरणा है”। इसके बाद उन्होंने रूपा के लिए एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान चार सालों तक संस्थान की ओर से मासिक छात्रवृत्ति देने की भी घोषणा की।
लोगों के लिए प्रेरणा बनी हैं रूपा यादव (Roopa Yadav) अपने संघर्ष के बदौलत लोगों के लिए प्रेरणा बनीं है। वह नारी सशक्तिकरण का एक उदाहरण है। आज रूपा यादव उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में उभरी हैं, जो प्रतिभावान होते हुए भी चूल्हे-चौकी में अपना पूरा जीवन गँवा देती हैं। उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और तमाम परेशानियों को झेलने के बाद उन्होंनें अपना मुकाम हासिल किया है।