दंगल गर्ल गीता फोगाट की बहन ने लगाई दुपट्टे से फांसी, हार गईं थी टूर्नामेंट..

दंगल फिल्म तो आप सभी ने देखी है अभिनेता आमिर खान ने उसमें जो शानदार अभिनय किया था उनके लोग कायल हो गए थे और उनकी बेटियों का किरदार भी दो फेमस एक्ट्रेसेस ने निभाया था लेकिन आपको बता दें कि यह दंगल फिल्म सच्ची कहानी पर आधारित थी जी हां और जिस पिता का किरदार आमिर खान ने निभाया था उनकी असल में 4 बेटियां हैं और यह उनकी असली जिंदगी की कहानी है पर आज हम आपको कुछ ऐसा शॉकिंग बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भी दुख महसूस होगा आइए जानते हैं क्या है पूरी खबर..

आपको बता दें कि जब फैमिलीइतनी सक्सेसफुल हो गई हो तो सब छोटों पर उम्मीदें और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं हालांकि कई बार इन् उम्मीदों का भार छोटे सहन नहीं कर पाते हैं और ऐसा कदम उठाने की सोच लेते हैं जो उन्हें नहीं उठाना चाहिए लेकिन कुछ लोगों को किसी बात का इतना ठेस लगता है कि वो खुद का जीवन ही खत्म कर लेते हैं।

आपको बता दें कि गीता

और बबीता की ममेरी बहन रितिका ने भी एक ऐसा ही कदम उठाया है जिसने उन्हें हमेशा के लिए दुनिया से दूर कर दिया है आपको बता दें कि रितिका भी अपनी बहन गीता और बबीता की तरह कुश्ती की खिलाड़ी थी गौरतलब है कि उनका भी सपना था कि वह भी अपनी बहनों की तरह परिवार और समाज का नाम रोशन करें और देश के लिए मेडल जीत कर लाएं।

दरअसल इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की थी हालांकि करियर की शुरुआती कुश्ती यानी स्टेट लेवल सब जूनियर कंपटीशन में हार मिलने के बाद वह पूरी तरीके से निराश हो गई थी वही मीडिया से प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह टूर्नामेंट 12 से 14 मार्च के दरमियान भागलपुर में संपन्न हुआ था।

दरअसल इस कुश्ती कॉम्पिटिशन में

रितिका फाइनल तक भी आ चुकी थी मगर फाइनल मैच में वह एक नंबर से बाहर हो गईं वहीं इस हार ने रितिका को बुरी तरह से तोड़ कर रख दिया था और अंत में उन्होंने खुद को खत्म करने का फैसला कर लिया हालांकि मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार अर्जुन अवार्ड विजेता महावीर फोगाट भी उस प्रतियोगिता में गए हुए थे आपको बता दें कि रितिका ने पंखे में अपना दुपट्टा डाल कर अपने जीवन को पूरी तरह से खत्म कर दिया हालांकि पुलिस घटना की जांच कर रही है।

आपसे इतना ही कहना चाहते हैं कि

जिंदगी बहुत ही खूबसूरत होती है और एक हार आपका पूरा जीवन नहीं बन सकती है वही खबर पढ़ रहे लोगों से हम बस इतना ही कहना चाहते हैं या अपने बच्चों को समझें उनसे बात करते रहें किसी और की जैसे उन्हें बनाने से बेहतर है उन्हें खुद को खोजने में मदद करें और इस खोज में आप उनके साथी बन जाए आपको अपने बच्चों के साथ एक दोस्त जैसे व्यवहार करना चाहिए उन्हें सही रास्ता दिखाना चाहिए।