जोइता मंडल देश के ट्रांसजेंडर समुदाय के गर्व का प्रतीक बनकर उभरी है जिन्हें आज हर कोई जानता और पहचानता है जो भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज बन चुकी है वह इस समुदाय के उन चंद लोगों में से एक हैं जिन्होंने अपनी पूरी लाइफ कठिनाइयों से लड़ते हुए एक सफल मुकाम को पाने में लगा दिया पढ़ाई से लेकर नौकरी पाने तक उन्हें हर कदम पर लोगों से भेदभाव का सामना करते हुए आगे बढ़ना पड़ा लेकिन आज लोग उनकी बहुत इज्जत करते हैं आपको बता दें इसी साल 8 जुलाई को 29 वर्षीय जोइता ने दफ्तर में काम शुरू कर दिया है वह बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर में लोक अदालत की जज है।
जोइता शुरू से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया तो काफी लोग उन पर हंसते थे और भद्दी टिप्पणियां भी करते थे जब बात सहन से बाहर हो गई तो उन्होंने पढ़ाई छोड़ कर सामाजिक कार्यकर्ता बन गई लोगों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए सहायता करना शुरू कर दिया एक समय में जोइता बीपीओ में नौकरी किया करती थी लेकिन वह भी उनका बहुत ज्यादा मजाक उड़ाया गया 2 महीने में ही उन्हें मजबूरी में नौकरी छोड़नी पड़ी।
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे जेंडर को मान्यता दी थी, जिसके बाद ट्रांसजेंडर्स की स्थिति में काफ़ी बादलाव आये हैं.कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में भी ट्रांसजेंडर्स के लिए कोटा सुनिश्चित किया है.ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों का एक बिल अब भी संसद में लंबित है.लोक अदालत में आम तौर पर तीन सदस्यीय न्यायिक पैनल शामिल होता है जिसमें एक वरिष्ठ न्यायाधीश, एक वकील, और एक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होता है.मंडल, एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में, न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हैं।
जोइता ने बताया कि उनके साथ ही जज भी बहुत से होगी है और उनके साथ सम्मान से बर्ताव करते हैं लेकिन अब भी कुछ लोग ऐसे हैं जो उन्हें अजीब निगाहों से देखते हैं और उन पर भद्दी टिप्पणियां भी करते हैं कई लोग तो ऐसे हैं जो उन्हें जज की भूमिका में देख कर चौक जाते हैं जोइता के अनुसार समाज के नजरिए में बदलाव आने में वक्त लगता है।