Shagun ka Lifafa: क्यों होता है शगुन के लिफाफे में 1 का सिक्का ? जानने के लिए जरूर पढ़े.
भारत में हमेशा से शादी या किसी शुभ काम के समय शगुन जरूर दिया जाता है. शगुन के लिफाफे हम जब भी खरीदते है, तो साथ में हमे उसपर पहले से ही एक का सिक्का लगा हुआ मिला होता है. क्या अपने कभी सोचा है की आखिर क्यों ये एक का सिक्का शगुन के साथ में दिया जाता है? आईए हम आपको इसके पीछे की वजह बताते है.
शगुन में जोड़ो गए 1 रुपये के सिक्का संख्या को अविभाज्य हो जाती है. यानी कोई भी उस संख्या को विभाजित नहीं कर पाता है.ऐसे में रिश्तो में 11,51,101,501 या 1001 जैसे संख्या को काफी शुभ बताया जाता है.
निवेश का चिन्ह
1 रुपए के सिक्के को भारत में निवेश के चिन्ह के रूप में भी देखा जाता है. हम हमेशा शगुन देते वक्त भलाई और अच्छाई की कामना करते हैं।माना जाता है 1 रुपए देना आर्थिक रूप से समृद्धि लाता है.इसलिये दान की गई राशि में दान करता हमेशा प्राप्त करने वाली की आर्थिक समृद्धि की कामना के लिये 1 रुपये का सिक्का कुल धनराशि से अतिरिक्त रखकर देता हैं .
मां लक्ष्मी का रूप होता है धातु
धन की देवी लक्ष्मी जी की कृपा अगर किसी घर में बनी हुई हैं तो उस घर में कभी समृद्धि की कमी नहीं होती और हिंदू शास्त्रों में ऐसी मान्यता हैं की लक्ष्मी जी धातुओ में निवास करती हैं और धातु को माँ लक्ष्मी का ही रूप माना जाता हैं इसलिये शगुन देते वक्त नोट के साथ धातु का सिक्का देना काफी शुभ होता है. क्युकी धातु को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है. वास्तु शास्त्रों में भी १ रुपये के सिक्को के कई सारे फयदे बातए गए है.
दुख के मौके पर नहीं दिया जाता सिक्का
अक्सर ऐसा देखा जाता हैं की हम शगुन केवल ख़ुशी के मौक़े पर ही देते हैं दुःख की घड़ी में शगुन देने से ज्यादातर लोग परहेज़ करते हैं.पर यदि अगर कोई दुःख की घड़ी में किसी को दान या शगुन देने की कोशिश करता हैं तो उस समय वो ध्यान रखता हैं की दान की गई राशि में हम शगुन का सिक्का नहीं डालते हैं क्यूँकि सामान्यतः शगुन देते वक्त हमेशा किसी की जिंदगी के लिए मंगल कामना करते है इसलिये दुख की घड़ी में 1 रुपए का सिक्का नहीं दिया जाता है.
सालों से चलती आ रही है परम्परा
अपने किसी भी परिचित के किसी शुभ अवसर पर शगुन देने की रिवाज़ हमारे समाज में सदियो से चली आ रही हैं. किसी का जन्मदिन हो या किसी की शादी हर एक शुभअवसर पर अपने सुभेक्षों की मंगलकामना के लिये शगुन का प्रचलन हमारे समाज में हमेशा से रहा हैं . आज कल की शादियों में 2001 या 501 रुपये का शगुन दते है पर पहले के ज़माने में सिर्फ 11 या 51 रुपये का शगुन दिया जाता था यानि की 1 रुपए का सिक्का बढ़ाकर शगुन देने की परम्परा सालों से चलती आ रही है.