शादी के 13 साल बाद आंटा चक्की चलाने वाली की पत्नी और 2 बच्चों की माँ बनी दारोगा जानिए सफलता की कहानी…

आपने सफलता के कई किस्से सुने होंगे पर आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिनके बारे में जानकर आपको भी कामयाबी के मार्ग पर आयी कठिनाइयों का सामना करने के में प्रेरणा मिलेगी. ये कहानी है जहानाबाद में रहने वाली अनीता की जो अपने शादी के 13 साल बाद भी दारोगा बनकर कमाल कर दिया. दो दिन पहले बिहार पुलिस ने दरोगा और सार्जेंट का फाइनल रिजल्ट जारी किया. बिहार पुलिस के दरोगा की परीक्षा में कुल 742 और सार्जेंट में 84 महिलाएं सफल हुई हैं.

 

बिहार पुलिस ने दो दिन पहले दारोगा और सार्जेंट के लिए हुई परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है. परिणाम के अनुसार कुल 2213 लोगो का चयन किया गया है. जिसके लिए 1998 दारोगा तथा 215 सार्जेंट के उम्मीदवार शामिल हैं. सफलता का आँकड़ा कुछ इस तरह है की 742 ने दारोगा की परीक्षा निकाल ली तो 84 महिलाओं ने सार्जेंट की. इन्हीं सफलताओं के किस्सों में से एक खास किस्सा है जहानाबाद की अनीता का. अनीता की सफलता इसलिए खास है क्यूँकि उन्होंने ने ये परीक्षा उनकी शादी के कुल 13 साल बाद दी और इस में सफलता भी हांसिल की. शादी के इतने समय बाद और दो बच्चो की माँ होने के वाबजूद भी अनीता ने हार नहीं मानी और अपने मेहनत और जज्बे के बल से दारोगा की वर्दी को हासिल किया.

घर की माली हालत को देखते हुए शुरू की नौकरी की तैयारी

अनीता की शादी संतोष से हुई थी जो जहानाबाद के होरिलगंज मोहल्ला स्थित छोटी सी गलियों में आटा चक्की की मशीन चलाते हैं. जिससे की उनके घर का गुजारा हो पाना बेहद ही कठिन था जिसकी बजह से अनीता जो की एक हाउस वाइफ होने के साथ साथ 2 बच्चो की माँ भी थी, उन्होंने अपने दूसरे बच्चें के बाद से अनीता ने घर चलाने के लिये नौकरी की तैयारी शुरू कर दी थी. संतोष आटा चक्की चलाकर किसी तरह घर का पालन पोषण करते थे. नौकरी की तैयारी के करते हुए अनीता ने पहले सिपाही की नौकरी हासिल की फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत करती रही और फिर उसी विभाग में अपने लगन और मेहनत से दारोगा बन गई. इस दौरान उनके घर का पूरा जिम्मा उनके पति ने संभाला था.

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शादी के 10 साल बाद जब अनीता ने नौकरी करने की ठानी तो सबसे पहले उन्होंने पुलिस में सिपाही के तौर पर ज्वाइन किया और जब 2020 में  दारोगा की नियुक्तियाँ  निकली तो उन्होंने दारोगा की नौकरी करने की ठान ली.  रोहतास में पुलिस कांस्टेबल के पद पर नौकरी करते हुए अनीता ने  पहले पीटी फिर फिजिकल निकाला और फिर आख़िरकार पुलिस में दरोग़ा की नौकरी ले ली.

पत्नी की कामियाबी के पीछे था पति का हाथ शादी के 13 साल बाद बनी दरोगा

सफलता पाने के बाद जब अनीता अपने घर लौटी तो उनके परिवार की ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था उनका स्वागत फूलो के हार और मिठाईओं के साथ किया गया. वैसे तो ये कहा जाता हैं की किसी पुरुष की सफलता के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता हैं पर अनीता की इस सफलता में उनके पति संतोष ने इस सफर में उनका बहुत साथ दिया. संतोष का मानना है की ये अनीता की इच्छा शक्ति से संभव हुआ है.

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अनीता की सफलता हमें बहुत कुछ सिखाती है की अगर आपने कोई भी चीज़ ठान ली हैं और मेहनत करते रहे तो सफलता आपके कदम चूमेगी आखिर ये अनीता का दृढ़ निश्चय ही था की शादी के 13 साल और 2 बच्चों की माँ बनने के बावजूद वो अपनी मंज़िल को हासिल कर सकी.

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