बिहार के भागलपुर में पैदा हुआ अंग्रेज़ी बच्चा, डॉक्टर भी देखकर हुए हैरान

बिहार के भागलपुर में पैदा हुआ अंग्रेज़ी बच्चा, डॉक्टर भी देखकर हुए हैरान

कभी-कभी मेडिकल साइंस की भी दुनिया में ऐसी चीज़े हो जाती हैं जिन्हें लोग किसी चमत्कार से कम नहीं मानते हैं, और उसे भगवान का करिश्मा मानते हैं. ऐसी ही एक अज़ीबो-ग़रीब और आश्चर्य-चकित करने वाली घटना घटी बिहार के भागलपुर में जहाँ जवाहर लाल नेहरु अस्पताल में भगवान का रूप समझे जाने वाले एक ऐसे बच्चे का जन्म हुआ जिसे देखकर नर्स से लेकर डॉक्टर सभी आश्चर्य-चकित हो गए.

किसी अंग्रेज़  से बिल्कुल कम नहीं दिखता है बच्चा

आपको बता दे कि यह बच्चा किसी अंग्रेज़ के बच्चे से रत्ती भर भी कम नहीं दिखता हैं. बच्चे का रंग पूरी तरह से भूरा है, यहाँ तक की उसके बाल और भौंह भी सफ़ेद रंग के है. अगर आप इसे किसी विदेशी शहर में ले जाए तो शायद वहाँ का कोई एस बात पर यकीन करे की यह बच्चा भारतीय है…

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कौन है यह परिवार जिसके घर पैदा हुआ अंग्रेज़  बच्चा

अंग्रेज़ो की तरह दिखने वाले इस बच्चे को पैदा करने वाला परिवार मुंगेरी का है. आपको बता दे की यह परिवार देर रात गर्भवती  महिला को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए लेकर आया. जब डॉक्टर में महिला का चेकअप किया तब महिला बहुत कमज़ोर थी. उसके शरीर में  सिर्फ 6 ग्राम ही हेमोग्लोबिन बचा था. इसलिए डॉक्टर ने नार्मल डिलीवरी के बजाए महिला कि सर्जरी की. जिसके बाद ठीक रात के 12 बजें एस अंग्रेज़ी बच्चें का जन्म हुआ. जब बच्चें का जन्म हुआ तो डॉक्टर और नर्स सभी उसे देखकर हैरान थे . बच्चा एकदम भूरी स्किन वाला था, जैसे कि मानो किसी यूरोपीय देश का हो. डॉक्टर से पूछने पर पता चला कि यह उनके (जवाहरलाल नेहरु महाविद्यालय ) अस्पताल  का पहला मामला हैं, जब किसी भूरे बच्चें का जन्म हुआ है.

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मेडिकल साइंस में क्या है इसके पीछे का कारण

अगर ऐसे बच्चे किसी यूरोपीय देश में होतें है तो यह एक साधारण से बात है क्युकि ऐसे रंग वहाँ के लोगों में जेनेटिक होते हैं लेकिन अगर यह एशिया महाद्वीप के कुछ देश जैसे कि भारत में हो तो यह एक साधारण सी बात नहीं होगीं. भारत में ऐसे बच्चें का जन्म लेना एक विकार माना जाएगा.  डॉक्टर से इस बारे में पूछने पर पता चला कि बच्चों में ऐसे बदलाव ऐलबिनो की कमी की वजह से  होते हैं. इसे दूसरे शब्दों में एक्रोमेसिया या एक्रोमेटोसिस भी कहा जाता है।

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शरीर में मेलानिन नाम का एक एलिमेंट होता है जो शरीर को सलाइवा या काला रंग देता है. इस मेलानिन को बनाने के लिए एलबिनो एंजाइम की जरूरत होती है अगर यह एंजाइम नहीं है तो इसी की कमी की वजह से बच्चे का रंग सफेद पड़ जाता। ऐसे बच्चे तेज धूप को सहन नहीं कर पाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे  बच्चों को कैंसर होने का ज्यादा खतरा रहता है।

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