पति-पत्नी का रिश्ता
हमारे समाज में पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही पवित्र माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि पति पत्नी की एक दूसरे का जीवन भर मरते दम तक साथ निभाते हैं जिंदगी के हर परेशानी में एक दूसरे का साथ देते हैं और सहारा बनते हैं इसी वजह से पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही पवित्र माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि जब किसी की शादी होती है तो एक दूसरे के लिए एक जन्म तक नहीं बल्कि अगले सात जन्मों के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं फेरों के समय साथ जीने मरने की कसमें भी खाते हैं हाल फिलहाल में एक ऐसी ही खबर सामने आई है जिसे देखकर लोगों की आंखें नम हो गई इस पति पत्नी के जोड़े ने प्यार की मिसाल दी है।
विवाह के बंधन में बंधने के बाद दो लोग अपने बारे में ना सोच कर बल्कि एक दूसरे के लिए सोचने लगते हैं आज हम आपको एक ऐसी ही खबर के बारे में बताने जा रहे हैं यह खबर नागौर से सामने आई है जहां पर साथ जीने मरने की कसमें खाने वाला जोड़ा एक साथ ही दुनिया को छोड़ कर चला गया प्यार की अनोखी दासता के गवाह नागौर के लोग बन गए हैं चलिए जानते हैं पूरी खबर।
कहता है सिंदूर तेरा
आपको बता दें वर्ष 1986 में आई फिल्म सदा सुहागन कि यह वह लाइनें हैं जो नागौर में लोगों ने खुद अपनी आंखों से होती हुई देखी हैं और उसे देखकर लोगों की आंखों से आंसू नहीं रुके यह दृश्य देखने के बाद लोगों की आंखों से आंसू निकलने लगे दरअसल हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह मामला राजस्थान में नागौर जिले के गांव से आया है।
बता दें यहां पर एक जोड़े ने 58 साल लंबा दांपत्य जीवन जीने के बाद एक साथ ही अपनी आखिरी सांसे ली। ऐसा बताया जा रहा है कि इसने एक साथ ही दुनिया को अलविदा कह दिया। गांव में पहले से ही इस प्यार के जोड़े की मिसाल दी जाती थी, लेकिन जब दोनों का एक साथ निधन हो गया तो उसके बाद एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार भी किया गया। अंतिम संस्कार की सभी रस्में दोनों बेटियों के द्वारा ही निभाई गईं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार
78 साल के राणाराम सेन रोड गांव के निवासी हैं ऐसा बताया जा रहा है कि उन्हें सांस से जुड़ी दिक्कत थी इलाज के लिए उन्हें पहले नागौर और फिर जोधपुर भेजा गया लेकिन जोधपुर में रविवार की सुबह उनकी मृत्यु हो गई जिसके बाद उनके शव को घर लाया गया।
लेकिन जब उनकी पत्नी भंवरी देवी ने उनके पति का शव देखा तो उनसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया ऐसा बताया जा रहा है कि पति का शव देखते ही पत्नी ने अपने तुरंत ही प्राण त्याग दिए पति का शव देखकर वह भी दुनिया को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए भगवान के पास चली गई।
गांव वाले दोनों के एक साथ
जब भंवरी देवी ने अपने प्राण त्याग ए तो लोगों का यह मानना है कि भंवरी देवी बड़ी ही सौभाग्यशाली थी गांव में एक साथ दोनों की अर्थी क्योंकि बिदाई चर्चा का विषय बन गई लोगों का ऐसा बताना है कि लाखों में कुछ ही जोड़ों के साथ ऐसा होता है जो कि साथ ही भगवान को प्यारे हो जाते हैं।
गांव वालों का यह भी बताना है कि राणाराम सेन शनिदेव के बहुत बड़े भक्त थे और मंदिर में पूजा भी किया करते थे पति पत्नी दोनों में ही बहुत ज्यादा प्यार था यह 58 साल से एक दूसरे का साथ निभा रहे थे आपको बता दें जब दोनों की मृत्यु हुई तो उनकी शादीशुदा बेटियों ने अपने माता-पिता को कंधा दिया।
बैंड बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई और पूरा गांव उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुआ था दोनों पति पत्नी एक ही चिता पर लेटे थे एक साथ दोनों को अग्नि दी गई फेरों के समय साथ जीने मरने की कसमें आज सच साबित हो गई थी।