अगर आपसे पूछा जाए कि जीवन जीने के लिए सबसे ज्यादा किस चीज की जरूरत है तो आप क्या कहेंगे शायद आप कहेंगे पानी भोजन या रहने के लिए मकान लेकिन नहीं जीवन जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत है ऑक्सीजन की ऑक्सीजन ही एक ऐसा साधन है जिसके वजह से हम जीवित रहते हैं अगर हम 2 मिनट के लिए भी या 5 मिनट के लिए भी ऑक्सीजन वाले तो हमारी मृत्यु हो सकती है तो आज हम आपको कुछ ऐसे ही किसी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें लोगों ने ऑक्सीजन को बहुत ज्यादा महत्व दिया है हालांकि लोग ज्यादा ऑक्सीजन के महत्व को नहीं महत्व देते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए ऑक्सीजन पेड़ पौधे वायु बहुत ज्यादा महत्व है और उन्होंने पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए ठान ली है आज हम इस लेख के माध्यम से आपको कुछ ऐसे ही इंसानों के बारे में बताएं बताने जा रहे हैं जिन्होंने प्रकृति को बिना हानि पहुंचाए ही अपना काम निकाल लिया जानते हैं क्या है माजरा
राजस्थान के जिलों की शहर उदयपुर में एक इंजीनियर ने पेड़ को बिना काटे ही कितना खूबसूरत घर तैयार कर दिया है जिस की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह वायरल हो रही है पेड़ पर बनाया 4 मंजिला घर इन दिनों काफी चर्चा का विषय बना हुआ है और हर कोई इस घर की तारीफ कर रहा है कि पी सिंह का यह मकान पर्यावरण संरक्षण की एक अनूठी मिसाल दी है
घर के मालिक इंजीनियर के पी सिंह का या 4 मंजिला मकान पिछले 20 साल से आम के पेड़ पर ही टिका हुआ है इस घर को ट्री हाउस के नाम से जाना जाता है खास बात यह है कि उदयपुर के देखने वाले पर्यटक इस घर की ओर भी आकर्षित होते हैं
केपी सिंह ने अपने घर की बनावट इस कदर की है कि उन्होंने पेड़ की टहनी काटने की बजाय इसका बेहद खूबसूरत इस्तेमाल किया है जैसे कि आम की किसी टहनी का टीवी स्टैंड बना दिया हो तो किसी टहनी को सोफे का रूप दे दिया तू किसी टहनी पर टेबल रखकर उसे खूबसूरत आकार दे दिया यह आम का पेड़ करीब 87 साल पुराना है
घर की बनावट इस तरह है कि आम ज्यादातर टहनियां घर के अंदर ही है ऐसे में जब आम का सीजन आता है घर के अंदर ही आप लोग जाते हैं मालिक के मुताबिक इस घर में बाथरूम बैडरूम किचन और डाइनिंग हॉल समेत सभी सुविधाएं मौजूद हैं
इस घर की सबसे खास बात यह है कि इस घर को सीमेंट से नहीं तैयार किया गया बल्कि सेल्यूलर स्टील स्ट्रक्चर और फाइबर शीट से तैयार किया गया है इस घर की ऊंचाई करीब 40 सीट है वहीं जमीन से यह 9 फीट ऊपर से शुरू होता है इस घर में रहने पर प्रकृति के करीब होने का एहसास बना रहता है इंजीनियर ने बताया कि साल 2000 में घर बनाते समय पेड़ की टहनियां इन का खास ख्याल रखा गया है जब तेज हवा चलती है या घर भी झूले की तरह जुमले लगता है इतना ही नहीं बल्कि पीड़ितु बढ़ने के लिए घर में बड़े-बड़े घोल तैयार किए गए ताकि पेड़ की टहनियों को भी सूरज की रोशनी मिल सके और भी बड़ी हो सके