मां बनी फिर छोड़ा बेटे को और सुने दुनिया के ताने और फिर सेकंड रैंक लाकर बन गईं आईएएस ऑफिसर..

आखिर सपने तो हर कोई देखता है पर कुछ लोग छोटे सपने देखते हैं कुछ लोग बड़े सपने देखते हैं और सपने उन्हीं के पूरे होते हैं जो उनको पूरा करने का जज्बा रखते हैं और जिनमें हिम्मत होती है अपने सपनों को पूरा करने की और आसमान छूने की आज हम आपको ऐसे ही एक मां के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने शादी करने के बाद भी और मां बनने के बाद भी अपने सपने को नहीं छोड़ा और आखिर तक मेहनत करती ही रही और अपना सपना साकार करके ही दम लिया परिस्थितियों से घबराई नहीं और आखिर में उनके जज्बे ने उनको एक आईएएस ऑफिसर बना कर खड़ा कर दिया और ऐसे वैसे नहीं बल्कि दूसरी रैंक लाकर आईएएस बनी।

इसके अलावा उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर यूपीएससी की तैयारी की तैयारी के दौरान उन्हें यह तक नहीं पता था कि जो कदम उन्होंने रखा है वह सही है या गलत लेकिन मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने इस कठिन परीक्षा को पास कर लिया उनका यूपीएससी की परीक्षा में ना केवल चयन हुआ बल्कि उन्हें ऑल इंडिया में दूसरी रैंक हासिल हुई है जानते है अनु के संघर्ष के बारे में।

कौन हैं (ias anu kumari) अन्नु कुमारी

अनु कुमारी का जन्म हरियाणा के सोनीपत की एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था अनु अपने चार भाई-बहनों के साथ रहती थी पिता दिल्ली के एक अस्पताल में काम करते हैं और माता एक ग्रहणी है अनु बताती हैं कि उनके घर में भैंस पालन होता था जो पिता की नौकरी और दूध बेचकर पैसे आते थे वह बच्चों की पढ़ाई में खर्च हो जाते थे अनु की शुरुआती पढ़ाई हरियाणा में ही हुई।

बचपन से ही थी पढ़ने में मेधावी

मेधावी अनू कुमारी को पढ़ने में बहुत रुचि थी दिल्ली के हिंदू कॉलेज से उन्होंने फिजिक्स में डिग्री हासिल कर ली सोनीपत से दिल्ली ट्रेन से रोजाना सफर करती थी पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उनका केंपस प्लेसमेंट भी हो गया मुंबई की एक बैंक में उनकी नौकरी लग गई वहां उन्होंने 2 सालों तक नौकरी कि उनका सपना आईएएस अधिकारी बनने का था लेकिन जल्द ही उनका विवाह करवा दिया गया।

उनके पति का नाम वरुण दहिया है जो कि एक बिजनेसमैन है विवाह के बंधन में बंधने के बाद इन पर जिम्मेदारियां बढ़ गई लेकिन इन्होंने अपने सपने के साथ समझौता नहीं किया जब इनके ससुराल वालों को पता चला कि वे पढ़ना चाहती हैं तो उन्होंने अनु के फैसले का समर्थन किया और उनकी पढ़ाई वापस से शुरू हो गई।

तैयारी के दौरान डेढ़ साल तक बेटे से रही दूर

कहते हैं मां बेटे का रिश्ता बहुत गहरा होता है और जब एक मां को अपने बेटे से दूर रहना पड़े तो इसकी पीड़ा केवल मा ही समझती है लेकिन अनु बहुत ही अच्छी तरह जानती थी कि आज अगर वह अपने बच्चे से दूर रहकर यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेती है तो आने वाले समय में वो लोगों के लिए एक नजीर बन सकती हैं उन्होंने दिल पर पत्थर रखकर अपने बेटे को मायके भेज दिया और खुद मौसी के पास रहकर तैयारी करने लगी।


लोगों ने अन्नु को सुनाई खरी-खोटी

अनु ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया था कि वह एक ऐसे इलाके से आती है जहां महिलाओं को बच्चों से अलग नहीं रखा जाता है ज्यादातर महिलाओं को घर की जिम्मेदारियां ही संभालनी पड़ती है ऐसे में उन्हें गांव की महिलाओं से खरी-खोटी बातें सुननी पड़ती थी अनु को महिलाओं द्वारा हीन भावना की नजरों से देखा जाता था कई महिलाएं तो अनु को सामने ही कह देती थी एक ऐसी मां है जो इतने छोटे बच्चे को छोड़ कर पढ़ाई कर रही है।

मेहनत लायी रंग प्राप्त किया दूसरा स्थान

परिवार बेटे और नौकरी को छोड़ने के बाद अनु की मेहनत सफल हो गई इनकी मेहनत के परिणाम स्वरूप संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा 2017 में इन्होंने पूरे देश में दूसरा स्थान हासिल किया इन्होंने आईएएस बनने का सपना भी पूरा कर लिया हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी उनकी खूब प्रशंसा की एवं इन्हें महिलाओं के लिए रोल मॉडल बताया।

जो महिलाएं अन्नु को बच्चे से दूर रहने पर बुरी नजरों से देखती थी वो भी अन्नु की प्रशंसा करने लगीं. अन्नु भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के बाद महिला सशक्तिकरण एवं महिला उत्थान पर काम करेंगी. शादी के बाद जो महिलाएं अपने जीवन के लक्ष्यों को दबा देती हैं अन्नु उनके लिए प्रेरणा हैं. परिवार और बच्चे से दूर रहकर उनकी मेहनत ने ही आईएएस अधिकारी बना दिया।