अद्भुत नजारा:: इस बिजनेसमैन ने अपनी करोड़ों की संपत्ति दान कर पूरे परिवार के साथ ले लिया संन्यास..

सोशल मीडिया पर हम हर रोज अजीबो गरीब खबरों के बारे में सुनते रहते हैं धर्म एक ऐसी चीज है जो इंसान से कुछ भी करवा सकती है धर्म के नाम पर इंसान अपने आप को बदल देता है बहुत सारी चीजें करना शुरू कर देता है जो वह कभी पहले करने की सोचता भी नहीं था धर्म इंसान के जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है हर किसी इंसान का कोई ना कोई धर्म अवश्य होता है आज हम आपको एक ऐसे किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं इसके बारे में सुनकर आपको यकीन तो नहीं होगा हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के एक कारोबारी की जिसने अपनी 30 करोड़ की संपत्ति दान कर अपने पूरे परिवार के साथ संयास ले लिया है।

जी हां कुछ ऐसा ही हुआ जहां एक परिवार ने अपना सब कुछ छोड़कर जैन धर्म को अपना लिया है चलिए हम आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है दरअसल छत्तीसगढ़ में दवा का कारोबार करने वाला डाकलिया परिवार ने 30 करोड़ की संपत्ति दान कर जैन धर्म के संस्कारों के तहत दीक्षा ली बता दें कि यह परिवार अब अपनी आराम की जिंदगी से अलग होकर स्वयं कठिन रास्ते पर निकल पड़ा है गुरुवार को जैन बगीचे में परिवार के मुखिया मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया समेत पांच लोगों को भगवती दीक्षा दिलाई गई।

बता दें कि मुमुक्षु भूपेंद्र ने बताया कि उनकी करोड़ों की प्रॉपर्टी में जमीन दुकान से लेकर अन्य संपत्तियां शामिल है लेकिन साल सन 2011 में रायपुर में स्थित कैवल्यधाम जाने के बाद ही उनके मन में संन्यास लेने का ख्याल आया वही नवंबर को उनके परिवार ने आराम युक्त जीवन छोड़ दीक्षा लेने का अंतिम फैसला लिया।

जैन धर्म के लोगों का कहना है कि ऐसा खतरगच्छपंथ में पहली बार हुआ है कि जब पूरे परिवार ने एक साथ दीक्षा ग्रहण की है वहीं मुमुक्षु भूपेंद्र का कहना है कि कैवल्यधाम जाने के दौरान हमारे सबसे छोटे बच्चे हर्षित के मन में इस दीक्षा को लेने का भाव आया उस वक्त उसकी उम्र 6 साल की थी।

उन्होंने यह भी बताया कि हर्षित ने हंसते-हंसते गुरु के सानिध्य में अपना केश लोचन कराया था यहीं से सारे बच्चों की मन में दीक्षा का भाव पैदा हुआ था धाम से लौटने के बाद से बच्चों ने दीक्षा लेने की बात कही लेकिन कम उम्र होने के चलते उस वक्त दीक्षा नहीं ली जा सकती थी अब 10 साल बाद भी उनके मन में दीक्षा का भाव बना हुआ देख मैंने उनके फैसले पर सहमति दे दी है बता दें कि दीक्षा संस्कार के बाद परिवार के सभी मुमुक्षुओं को अलग कर दिया गया छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के गंज चौक में रहने वाले 45 वर्षीय मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया के परिवार में दीक्षा लेने वालों में।


उनकी 45 साल की पत्नी सपना डाकलिया और उनके चार बच्चे शामिल हैं। जिसमें 22 वर्षीय महिमा डाकलिया, 16 साल के हर्षित डाकलिया, देवेंद्र डाकलिया (18) हैं। हालांकि 20 वर्षीय मुमुक्षु मुक्ता डाकलिया ने इन लोगों के साथ स्वास्थ्यगत कारणों से दीक्षा नहीं ली है। अब उनकी दीक्षा फरवरी में होगी।