क्या आपने सुना है कि कोई इंसान हवाई जहाज के टायर में बैठकर या खिड़की में बैठकर यात्रा कर रहा है यह सुनने में बहुत ही अजीब लगता है लेकिन हां यह सच है काफी समय पहले की बात है सन 1986 में पंजाब में दो भाई रहते थे एक का नाम प्रदीप सैनी और दूसरे का नाम था विजय सैनी इसमें विजय छोटा था और उसकी उम्र 19 साल थी प्रदीप बड़ा भाई था उसकी उम्र 23 साल थी दोनों भाई कुछ कारणों से भारत के बाहर विदेश जाना चाहते थे
लेकिन लेकर किसी देश में जाना तो बहुत टेढ़ी की थी इससे उन्हें एक एजेंट मिला जिस ने कहा कि तुम सीधे रास्ते से तो लंदन नहीं जा सकते लेकिन तुम्हें सिक्रेटली लंदन भेजा जा सकता है तुम्हें मैं सिक्रेटली प्लेन में लगेज यानी कि सामान रखने वाली जगह में अपनी सेटिंग से बिठा दूंगा और तुम्हें वहां एयरपोर्ट पर उतार दिया जाएगा।
दोनों भाई इस बात के लिए राजी भी हो गए लेकिन वह दिन-ब-दिन डालता भी गया और उनकी जुगाड़ नहीं लगी फिर उन्होंने सोचा कि अब कैसे जाएं और यहां से शुरू होती है असली कहानी तो उन्होंने सोचा कि वह खुद ही कर लेते हैं और खुद ही निश्चय कर लेते हैं इसके बाद दोनों भाई पंजाब से दिल्ली आ जाते हैं और दिल्ली में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के चक्कर काटने लगते हैं
1986 सितंबर के महीने में यह दोनों भाई भी बहुत थोड़े बहुत पढ़े लिखे थे दोनों भाई एयरपोर्ट के आसपास की इंफॉर्मेशन कलेक्ट करने लगे यह जानने लगे कि कब कहां कौन तैनात है कितनी पुलिस कहां है और एयरपोर्ट के अंदर जाने के क्या-क्या रास्ते हैं और सीधी सी बात थी मेन डोर से तो अंदर जा नहीं सकते थे
इसलिए उन्होंने एयरपोर्ट के पूरे कंपाउंड को समझा और यह जान लिया कि एयरपोर्ट बहुत बड़ा है और इसकी कई कई जगह पर दूर-दूर तक दीवारें फैली हुई है और यह कई जगह है जहां कोई आता जाता नहीं है और आखिरकार सितंबर से अक्टूबर तक 1 महीने की छानबीन करने के बाद दोनों भाई एयरपोर्ट के अंदर घुसने का रास्ता खोज लेते हैं और वह ब्रिटेन जाने वाली लंदन जाने वाली कितनी फ्लाइट है उनकी टाइमिंग क्या है यह सब भी पता लगा लेते हैं।
और फिर दोनों भाई एयरपोर्ट के अंदर दाखिल हो जाते हैं और प्लान के मुताबिक एक प्लेन के रनवे पर चले जाते हैं वहां यह दोनों भाई सिक्योरिटी और लोगों से बचकर प्लेन की लैंडिंग गियर में भी बैठ जाते हैं उसमें टायर fold होने के बाद भी एक आदमी साइड के कोने में बैठ सके इतनी जगह होती है यानी कि एक लैंडिंग गियर में प्रदीप अपने आप को छुपा लेता है और दूसरे लैंडिंग गियर में उसका छोटा भाई विजय खुद को छुपा लेता है।
इसके बाद फ्लाइट अपने पहिए अंदर ले लेती है और लैंडिंग गियर को बंद कर दिया जाता है यह बहुत ही खतरनाक मंजर होता है जब पैन उड़ता है हैं इसमें कंपन होती है तो भूचाल सा महसूस होता है।
इसके बाद जब प्लेन लैंड करता है तो जो वहां पर लगेज कलेक्ट करने वाली टीम का एक मेंबर और यह इंसान जैसे ही वहां पहुंचता है वह सबसे पहले देखता है कि जो पहिया होता है उसके नीचे एक इंसान बेहद ठंडी से जूझ रहा है वह कहां पर होता है रोड पर नीचे यह इंसान को समझ नहीं पाता है कि यह कौन है कहां से आया है और क्या करना है इसके बाद डॉ आते हैं एंबुलेंस आती है और उसके बाद पूरा माजरा पता लगता है।
बाद में जब एयरपोर्ट पर पता लगता है कि दो लोग लैंडिंग गियर में बैठकर भारत से लंदन आ गए लेकिन एक भाई की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो जाती है और दूसरा भाई प्रदीप बच जाता है जब प्रदीप होश में आता है तो वह पूछता है कि उसका छोटा भाई कहां है और जब उसे पता लगता है कि उसके भाई की मौत हो चुकी है तो वह फूट-फूट कर रोता है इसके बाद लंदन की पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है।
लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे इसके पीछे तीन मुख्य कारण थी इस चमत्कार का पहला कारण था प्रदीप के शरीर का रिएक्ट करना बंद हो जाना जी हां दोस्तों प्रदीप का शरीर विपरीत हालत में इतना सहम गया कि उसने विपरीत परिस्थिति में काम करना बंद कर दिया और इसके कारण तेज आवाज कैसे तेज हवाओं का असर माइनस 50 डिग्री टेंपरेचर का सभी का प्रदीप की बॉडी पर कुछ असर नहीं हुआ।
यूं मानो उसकी बॉडी फीलिंग लेस हो चुकी थी दूसरी चीजें थी कि प्रदीप के अंदर एक स्ट्रांग विल पावर था और तीसरी वह शरीर से मजबूत था यह चीजें थी जिसने उसे इस विपरीत परिस्थिति से बचाया।
आमतौर पर इस परिस्थिति में किसी भी इंसान की मौत हो सकती है तो दोस्तों इस तरह का एक पंजाब का लड़का लंदन में पहुंचा हवाई जहाज के पहिए में खुद को छुपा कर वह भी जिंदा हालात में इसके बाद प्रदीप का लंदन कि कोर्ट में मुकदमा भी चला और 28 साल बाद सन 2014 में प्रदीप को वहां पर वहां की कोर्ट ने उसे लंदन की नागरिकता दे दी।