हम बात करें संसाधनों की तो जहां पर आज अधिक से अधिक संसाधन होने पर भी लोग उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाते जो कम संसाधन वाले लोग पहुंच जाते हैं हम बात करने जा रहे हैं एक गरीब घराने के लड़के की जिसने अपनी मेहनत और अपने टैलेंट के दम पर अपने मां-बाप का नाम रोशन किया और बन गया एक आईएएस ऑफिसर अपनी इस कामयाबी से उसने अपने मां-बाप का ही नहीं अपने पूरे परिवार का और अपने गांव का नाम रोशन किया यह बताते हैं कौन है वह शख्स..
हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के बेटे मिंटू लाल की मिंटू लाल ने गरीबी और आर्थिक तंगी को झेल कर वह कर दिखाया जिसे देख कर कोई भी हैरान रह जाए।
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माता-पिता ने कभी स्कूल नहीं देखा
राजस्थान के दौसा जिले के मिंटू लाल की है कहानी यह बहुत ही प्रेरणादायक है मिंटू के माता-पिता ने कभी स्कूल नहीं देखा अनपढ़ रह गए खुद बचपन में भैंस चराने वाले मिंटू ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की वह बचपन में स्वयं भी कभी स्कूल नहीं जाना चाहते थे 5 साल तक मिंटू खेतों में भैंस चराते रहे स्कूल व किताब का मुंह तक नहीं देखा मिंटू की मां ने उन्हें पढ़ाने का मन बनाया और उन्हें पढ़ा-लिखा कर एक काबिल इंसान बनाने का फैसला किया मिंटू जब 6 साल के थे तो मां ने उन्हें जबरदस्ती स्कूल भेजना शुरू कर दिया शुरू में तो दो-तीन दिन हाथ पकड़कर उनकी मां उन्हें स्कूल खींचकर ले गई।
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बचपन में स्कूल जाने से डर लगता
मिंटू ने एक अखबार को बताया कि उनके माता-पिता अनपढ़ है मैं कभी स्कूल नहीं गए वे वह भी माता-पिता के साथ भैंस चराते थे उन्हें भी बचपन में स्कूल जाने से बहुत डर लगता था और लगभग 6 वर्ष का होने के बाद स्कूल में पहली बार गए थे उस वक्त 2 दिन तक लगातार उनकी माताजी ने पिटाई लगाते हुए उन्हें स्कूल ले गएगईं मिंटू की दसवीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई तब भी स्कूल के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था उनके घर में बिजली नहीं थी घर कच्चा था और केरोसिन डालकर चिमनी जलाकर पढ़ना पड़ता था मिंटू के घर में लाइट नहीं थी लेकिन पास के मंदिर में लाइट लगी थी मंदिर में हमेशा रोशनी रहती थी तो भी रोजाना घर से थोड़ी दूर पपलाज माता के मंदिर में जाकर पढ़ाई करते थे।
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अखबार में देखा सरकारी अधिकारियों का रुतबा
मंदिर में देर रात तक पढ़ाई होती थी उस वक्त उन्हे सिविल सेवा अधिकारी बनने का ख्याल आया उन्होंने अखबार में देखा और पढ़ा था कि कैसे प्रशासनिक अधिकारियों की दौरों की तारीफ होती है और भी बड़े-बड़े काम करते हैं यह देख कर उन्हें भी बड़ा अधिकारी बनने का मन किया उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी तो वह जल्दी से नौकरी पाना चाहते थे उन्होंने अखबार को बताया कि मैं 12वीं के बाद ही पटवारी बन गया नौकरी लगने के कारण में औपचारिक रूप से किसी कॉलेज विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं कर पाया था मैं आईएएस बनना चाहता था परंतु ट्वेल्थ के बाद पटवारी की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें वही नौकरी करनी पड़ी।
वह तो सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए दिल्ली आना चाहते थे लेकिन इसके लिए पैसों की जरूरत थी ऐसी परिस्थितियों में उन्हें अपने दोस्तों की मदद मिली उनके आर्थिक सहयोग से दिल्ली तैयारी करने के लिए चले गए 1 वर्ष बाद सिविल सेवा परीक्षा यूपीएससी में बैठे प्रथम प्रयास में ही परीक्षा पास करते हुए इंटरव्यू तक पहुंच गए थे।
फिर दूसरे प्रयास में भी इंटरव्यू तक आये। उन्हें साल 2018 की UPSC परीक्षा में 664वीं रैंक प्राप्त हुई और भारतीय राजस्व सेवा-IRS आयकर के लिए मैं चुना गया। अफसर बनने के बाद उनका गांव में जोरदार स्वागत किया गया। परिवार के लोग फूल-माला से उनका स्वागत कर रहे थे। बेटे को अफसर (IRS Officer) बनता देख उनकी मां बहुत खुश हुई और रोने लगी। बहुत ख़ुशी में हर माँ ऐसा ही करती है। आज उनका परिवार संपन्न और खुश है।