आखिर कौन हैं रतन टाटा के साथ ये लड़का? जिसकी हर बात आँखें बंद करके मानते हैं रतन टाटा जानिए…

आपको बता दें कुछ दिन पहले ही रतन टाटा ने अपना जन्मदिन मनाया था लेकिन इस बर्थडे पर सभी ने एक खास बात नोटिस की है रतन टाटा ने अपना जन्मदिन एक लड़के के साथ मनाया तो सभी लोगों के मन में एक ही सवाल उठा कि रतन टाटा के इतने करीब आखिर यह लड़का है कौन चलिए आपको बताते हैं।


कई बार यह लड़का रतन टाटा के कंधे पर हाथ रखता दिखाई दिया है तो आइए जानते हैं इनके बारे में रतन टाटा के साथ नजर आ रहे इस लड़के का नाम शांतनु नायडू है युवक ने धंधे की दुनिया में बड़े झंडे गाड़ दिए हैं।


और आपको जानकर हैरानी होगी कि रतन टाटा जब स्टार्टअप्स में निवेश करते हैं तो शांतनु ने बिजनेस टिप्स भी देते हैं उनका जन्म 1993 में पुणे में हुआ था आपको बता दें वही एक प्रसिद्ध व्यवसाई इंजीनियर कनिष्ठ सहायक डीजीएम सोशल मीडिया प्रभावित लेखक है शांतनु को देशभर में टाटा ट्रस्ट के उप महाप्रबंधक के रूप में जाना जाता है।


शांतनु नायडू ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से एमबीए किया है। उनकी पांच पीढ़ियां टाटा समूह से जुड़ी हैं। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, शांतनु जून 2017 से टाटा समूह के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के रूप में भी काम किया है।


युवक का सपना तब साकार हुआ जब एक फेसबुक पोस्ट के बाद रतन टाटा ने उनसे मिलने के लिए फोन किया। शांतनु ने फेसबुक पर डॉग कॉलर के बारे में लिखा, जो आवारा कुत्तों के लिए एक रिफ्लेक्टर (रात की रोशनी में चमकता है) ताकि ड्राइवर रात में इसे सड़क पर देख सके और दुर्घटना से बच सके। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “यह बात फैल गई और हमारा काम टाटा न्यूजलेटर में प्रकाशित हुआ।”


छात्र संगठनकर्ता होने के कारण शांतनु के पास उस समय इतना पैसा नहीं था कि वह ऐसा कॉलर कर सके इसलिए उन्होंने स्कॉलर को बनाने के लिए डेनिम पैंट को आधार सामग्री के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया और फिर उन्होंने घर से ऐसी पैंटटी कि फिर उन्होंने 500 ऐसे कॉलर बनाए और कुत्तों को कपड़े पहनाए चलिए आगे जानते हैं और भी बातें।


शांतनु द्वारा बनाया गया कॉलर पहले कुत्ते को वाहन चालक रात में भी बिना स्ट्रीट लाइट के देख सकते थे ताकि दुर्घटना की संभावना बिल्कुल भी ना हो और कुत्ते सेव द हैं इनके काम को देखते हुए कई लोगों ने इनकी तारीफ भी की है बाद में टाटा समूह के एक समाचार पत्र में इसकी सूचना भी दी गई जिस पर रतन टाटा ने देखा और शांतनु को मिलने के लिए बुलाया।