मुसीबतों से लड़कर और बिना किसी कोचिंग के पहले प्रयास में सफलता को अपने कदमों में ला खड़ा करने वाले IPS आदर्श कांत शुक्ला की कहानी प्रेरणादायक हैं।
कामयाबी हर कोई चाहता है परंतु उसको किसी भी परिस्थिति में पा लेने का जुनून सबके पास नहीं होता है। कामयाबी पाने के लिए कड़ी मेहनत और संघर्ष के सामने डट कर और हिम्मत के साथ खड़ा रहना पड़ता है। बता दें कि देश में सबसे बड़ी और कठिन परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को मानी जाती है। इस परीक्षा की तैयारी करना किसी भी अभ्यर्थी के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। इस परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी के लिए यह सबसे कठिन और चुनौती भरा समय होता है।
कामयाबी हर किसी को नहीं मिलती
इस परीक्षा की तैयारी में लाखों अभ्यर्थी करते हैं परंतु कामयाबी हर किसी को नहीं मिल पाती है। सालों-सालों के प्रयास के बाद भी छात्र इस परीक्षा को पास नहीं कर पाते हैं। वहीं कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी होते हैं, जो इस कठिन परीक्षा को अपनी मेहनत और लगन से पहले ही प्रयास में पास कर लेते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही अभ्यर्थी के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पहले ही प्रयास में इस कठिन परीक्षा को पास कर लिया और आईपीएस अधिकारी बन गए।
आज हम आपको IPS आदर्श कांत शुक्ला की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। आदर्श कांत ने यूपीएससी की परीक्षा में पहले प्रयास में 149वीं रैंक हासिल करके आईपीएस बनने तक का सफर तय किया। आदर्श कांत उत्तर प्रदेश, बाराबंकी जिले के रहने वाले हैं। उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। जिस वजह से उन्होंने कोई कोचिंग भी ज्वाइन नहीं की।
आर्थिक तंगी होने के बावजूद घबराएं नहीं आदर्श
आईपीएस बनने तक का सफर तय करना बिल्कुल भी आसान नहीं था आदर्श के लिए। इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। आदर्श बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में हमेशा से ही होशियार थे, उन्होंने बचपन में ही तय कर लिया था कि उन्हें बड़े होकर ऑफिसर बनना है। वैसे यह सपना उनके पिताजी का था, लेकिन घर के आर्थिक हालात ठीक नहीं होने की वजह से वे अपना यह सपना पूरा नहीं कर पाए थे। लेकिन उनके बेटे ने उनका यह सपना IPS अफसर बन कर पुरा कर दिया।
आदर्श के पिताजी (राधा कांत) बाराबंकी के बाढ़ प्रभावित तहसील से आते हैं। अभी वह एक प्राइवेट फर्म में जीएसटी डिपार्टमेंट में अकाउंटेंट के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं आदर्श की मां (गीता शुक्ला) एक गृहिणी हैं। घर की कठिन परिस्थितियां होने के बावजूद आदर्श के माता-पिता ने अपने बेटे आदर्श और बेटी स्नेहा की परवरिश और पढाई में कोई कमी नहीं की।
किराए के मकान से शुरू किया सफर
घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी आदर्श के पिता एक बेहतर जीवन का सपना लेकर 20 साल पहले अपने गांव से बाराबंकी आ गए। यहां पर उन्होंने अपना जीवन एक किराए के घर से शुरू किया। कुछ सालों बाद उन्होंने फिर खुद का मकान खरीद लिया। आदर्श के IPS बनने के बाद उनके पिता ने कहा कि उनके बेटे ने उनका सपना पूरा कर दिया। उनकी माँ ने कहा कि वह भी(आदर्श के पिता) आईपीएस अधिकारी बनना चाहते थे लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वह अपना सपना पूरा नहीं कर पाए थे। अब उनके बेटे ने यह कर दिखाया है।
घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद आदर्श के माता-पिता ने आदर्श की पढ़ाना-लिखाई जारी रखी। आदर्श ने अपने कालेज में हाई और इंटरमीडिएट के एग्जाम में टॉप किया था। ग्रेजुएशन के दौरान उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था। आदर्श ने Bsc लखनऊ स्थित नेशनल PG कॉलेज से की है।21 साल की उम्र में ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और उसे पास भी किया। वहीं अगर उनकी बहन की बात करें तो वो वकालत की पढ़ाई कर रही हैं।
यूपीएससी पास कर बने आईपीएस
आपको बता दें कि साल 2020 में आदर्श ने यूपीएससी की परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया था।
आदर्श आईएएस(IAS) बनने का सपना तो पूरा नहीं कर पाए लेकिन 149वीं रैंक लाकर आईपीएस(IPS) जरूर बन गए।
कामयाबी का श्रेय
आदर्श कहते हैं कि हमें सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी करते समय अपना गोल क्लियर रखना चाहिए। वर्तमान समय में आदर्श तमाम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं चाहें वो किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हो। आदर्श ने अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय माता-पिता को दिया है।