हर माता-पिता का यह सपना होता है कि उसकी संतान अच्छी शिक्षा प्राप्त कर अपने भविष्य को उज्जवल बनाए। इस सपने को पूरा करने के लिए माँ-बाप दिन रात मेहनत करते हैं और कई चीजों का त्याग करते हुए भी अपनी संतान की पढ़ाई नहीं रुकने देते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी झारखंड के रांची की सिमरन तौरीन की है।
आर्थिक समस्या से लड़ाई
सिमरन बचपन से ही एक मेधावी विद्यार्थी रहीं और उनके दिमाग में यह बचपन से ही सेट था कि उन्हें पढ़ लिखकर कुछ बनना है और अपने माता-पिता का नाम ऊँचा करना है। सिमरन के माता-पिता ने अनेकों समस्याओं का सामना किया जिनमें आर्थिक समस्या विशेष रूप से शामिल थी।
बेटी के सपनों से कोई समझौता नहीं
इन सब के बावजूद कभी भी उन्होंने अपनी होनहार बेटी का हौसला पस्त नहीं होने दिया और ना ही कभी उसे पढाई के मामले में किसी भी चीज की कमी होने दी। बेटी की पढ़ाई चलती रहे इसके लिए सिमरन के पिता जिशम अख्तर ने कभी फुटपाथ पर सब्जी बेची तो कभी टोपी। उनका लक्ष्य बस एक ही रहा कि वह कभी अपनी गरीबी को अपनी बेटी के सपनों के बीच नहीं आने देंगे।
माँ-बाप का सिर किया ऊँचा
सिमरन भी अपने माता-पिता के त्याग से भलि भांति परिचित थीं और जी तोड़ मेहनत से पढाई करती रहीं। झारखण्ड के ही एक कॉन्वेंट गर्ल्स स्कूल से 12वीं की परीक्षा देते समय सिमरन को खुद इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका अपने माँ-बाप को गर्वान्वित करने का सपना पूरा होने जा रहा है।
जिला टॉपर सिमरन तौरीन
उस साल 12वीं का रिजल्ट आया और सिमरन तौरीन को 95.5 प्रतिशत अंक मिले। वह पूरे जिले में सबसे अव्वल आयीं थीं और इस तरह उन्होंने तमाम गरीब परिवार के छात्रों को यह उदाहरण दिया कि आपमें यदि लगन है तो कोई भी समस्या आपको नहीं डिगा सकती।
अगला लक्ष्य
साथ ही सिमरन के माता-पिता ने जिस साहस और प्रेम का परिचय दिया है वह भी अतुलनीय है। सिमरन को अब यहीं नहीं रुकना है बल्कि उनके सपने अब और बड़े हो चले हैं। आने वाले समय में एक सम्मानित पद पर जाना और अपने माँ-बाप के त्याग को सफल बनाना सिमरन का अगला लक्ष्य है।