आपने बहुत बार देखा होगा कि मां दुर्गा और शिव जी का मंदिर एवं हनुमान जी का मंदिर कई मंदिर होते हैं जहां भगवान की पूजा की जाती है लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां भगवान की नहीं बल्कि योनि की पूजा की जाती है लोग इस रूप में देवी की पूजा करते हैं और भक्तों का कहना है कि उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।
यह मंदिर देवी कामाख्या का मंदिर है यह वह मंदिर है जहां योनि की पूजा की जाती है नील चंद हिल के पास गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर है यह कामाख्या शक्तिपीठ का मंदिर यह 51 शक्ति पीठों में से एक मंदिर है।
आपको बता दें कि यह सबसे पुराना शक्ति पीठ है और जब उनके पिता ने दक्ष यज्ञ में उनकी बेटी सती और उनके पति शंकर का अपमान किया और शिव का अपमान किया, तो सती दुखी हो गईं और यज्ञ कुंड में खुद को बलिदान कर दिया।जिसके बाद वे 51 टुकड़े हो गए, जिसे 51 शक्तिपीठ कहा जाता है।
खास बात इस मंदिर की यह है कि सती की योनि कामाख्या में गिरी थी इसलिए यहां की पूजा की जाती है मंदिर के मध्य में योनि के आकार का झील है जिसमें से हमेशा पानी बहता ही रहता है इस स्थान पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है लोगों का ऐसा कहना है कि उनके पिता देवी सती से नाराज थे क्योंकि उन्होंने उनके खिलाफ जाकर शिव से विवाह किया था।
जानिए मंदिर के बारे में कुछ खास बातें:इस मंदिर के अंदर मां या सती की एक भी मूर्ति नहीं है, जो इसे अपने आप में खास बनाती है।हर साल जून के महीने में पूरे भारत से कुछ ऋषि यहां आते हैं और प्रार्थना करते हैं, इस स्थान को तंत्र का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है।
कहा जाता है कि इस स्थान पर मां की योनि गिरी थी, जिससे मां को साल में तीन दिन मासिक धर्म आता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मापुत्र नदी का पानी 3 दिनों तक लाल हो जाता है इसका कारण यह है कि कामाख्या देवी का मासिक धर्म है ऐसा हर साल अंबुबाची मेले में होता ही है इन 3 दिनों के दौरान इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है भक्तों को प्रसाद के रूप में लाल सूती कपड़ा चढ़ाया जाता है।