बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ दुनिया भी काफी बदल गई हैं. पहले और आज की दुनिया के में जमीन आसमान का फ़र्क़ हैं. पहले हम एक साधारण सी साईकल की सवारी करते थे. लेकिन अब तरह-तरह की गाड़ियाँ लोगों की सवारी के लिए उपलब्ध हैं. लेकिन अभी भी उस साईकल की बात अलग हैं. अब अभी जो मज़ा साईकल चलने में आता है वो और कही नहीं आता.
खुद मशीन चलाई थी हीरो कंपनी के मालिक ने
आज हम आपको साईकल की ही एक सबसे बड़ी कंपनी ‘हीरों’ के बारे में एक दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं. एक बार हीरों कम्पनी के कर्मचारियों ने हरताल कर दिया था, और इस हरताल की वजह से साइकल का निर्माण रुक गया था. फिर अचानक से खुद हीरों कंपनी के मालिक ने हरताल के दौरान मशीन चलाकर साईकल बनाने का काम स्टार्ट कर दिया. उनको ऐसा करता देख कंपनी में ऊँचे पद पर बैठे लोग ने उन्हें रोकने की कोशिश की तब हीरो कम्पनी के मालिक एक दिल को छू लेने वाली बात बोली उन्होंने कहा कि आप सब चाहे तो घर जा सकते हैं, लेकिन मेरे पास साईकल का आर्डर का हैं और उसको पूरा करने के लिए मैं यह काम करता रहूँगा।
बच्चे का सपना ना टूटे इस वजह से किया था
उनका सोचना था कि इस हरताल की वजह से मैं उस बच्चे के दिल को नहीं तोड़ सकता जिसके माता-पिता ने उसे उसके बर्थडे पर साईकल देने का वादा किया होगा. इस हरताल की वजह से मैं उसे निराश होते नहीं देख सकता। दिल छू लेने वाले यह वाक्य बोला था ओपी मुंजाल ने. ओपी मुंजाल ही हीरो कम्पनी के मालिक थे।
पाकिस्तान से शुरू हुई कम्पनी
ओपी मुंजाल ने ही अपने भाईयों के साथ मिलकर हीरो साईकल को दुनिया के सामने लाया था. आपको यह बात जानकर आशचर्य होगा की हीरो साईकल की शुरुआत पाकिस्तान के ‘कमालिया’ से शुरू हुआ था. कमालिया में ही ओपी मुंजाल का घर था. यही पर उनका जन्म हुआ था. ओपी मुंजाल के पिता का नाम बहादुर चंद मुंजाल था. बहादुर चंद मुंजाल के चार बेटे थे. इन्ही चारों ने आगे चलकर हीरों साइकल को दुनिया के सामने पेश किया।
विभाजन के बाद भारत आई कंपनी
ओपी मुंजाल के पिता एक अनाज की दुकान चलाते थे. इसी समय देश के बटवारे की भी बात चल रही थी. और जब बटवारा हुआ तब ओपी मुंजाल के पिता भारत के पंजाब के लुधियाना शहर में आकर बस गए. यहाँ पर उनके पिता बेरोजगार थे. अपने पिता की बेरोजगारी को दूर करने और घर का गुजरा चलाने के लिए मुंजाल भाईयों ने गलियों और फुटपाथों पर साइकल के पुर्ज़े बेचने शुरू कर दिए. कुछ समय बाद इन भाईयों ने साईकल के पार्ट्स खरीदकर बेचने के बजाय खुद पार्ट्स बनाकर बेचने का सोचा।
उधार लेकर लुधियाना में शुरू की कंपनी
यह काम उन्होंने साल 1956 में शुरू किया। इसके लिए उन्होंने बैंक से 50 हज़ार रुपये का लोन लिया और अपनी साइकल के पार्ट्स बनाने की फैक्ट्री शुरू की. यह फैक्ट्री उन्होंने लुधियाना में ही शुरू की.
यह भी काम कुछ समय तक करने के बाद इन भाइयों को लगा की पार्ट्स बनाकर बेचने से अच्छा है कि हम खुद अपना साईकल बनाकर बेचे। इसी सोच में हमारे सामने लाया हीरो साईकल को। जो अब भी लोगों की पहली पसंद होती हैं. यह साईकल बाजार में आते ही पुरे देश में छा चुकी थी. यह साइकल बाजार में आते ही इतना पॉपुलर हुआ की साल 1966 आते-आते इनकी कंपनी साल के 1 लाख तक साइकल तैयार करने लगी थी. इतना ही साल 1986 तक हीरो साइकल ने हर साल 22 लाख से अधिक साइकल का उत्पादन कर एक रिकॉर्ड बना दिया था.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है कंपनी
इसके साथ ही साथ हीरो उस समय साईकल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी बन चुकी थी. 1980 के दशक तक हीरो हर रोज़ 19 हज़ार साईकल तैयार करने लगी थी. सबसे बड़ी साईकल कम्पनी का रुतबा उस वक़्त हीरो साइकल के पास ही था.
उस वक़्त हीरों साईकल एक के बाद एक उपलब्धियों की सीढ़ी चढ़ती जा रही थी. साल 1986 में एक वक़्त ऐसा आया जब हीरो साइकल को दुनिया की सबसे बड़ी साईकल उत्पादक कंपनी के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उसका नाम दर्ज़ किया गया हैं. साल 2004 में ब्रिटेन ने इस कंपनी को ‘सुपर ब्रांड’ का दर्ज़ा दिया।
आपको बता दे कि अभी तक इस कम्पनी ने 14 करोड़ से अधिक साइकलों का निर्माण किया हैं. आज इस कम्पनी के दुनिया भर में 7500 से अधिक आउटलेट्स हैं.
जापान की कंपनी के साथ मिलकर बनाया ‘Hero Honda’
वक़्त के साथ-साथ मुंजाल भाईयों ने हीरो ग्रुप के तहत कई सेक्टर में भी हाथ आजमाएं हैं. इन्होंने जापान की कम्पनी होंडा के साथ भी करार किया और साल 1984 में दोनों ने कंपनी ने मिलकर ‘Hero Honda Motors Ltd’ की स्थापना की.
इस करार के बाद साल 1985 में हीरो ने अपनी पहली मोटर साईकल लांच की. यह मोटरसाईकल थी CD100 . साईकल की तरह ही हीरो की यह बाईक खूब चली. एक लंबे समय लगभग 27 सालों तक काम करने के बाद हीरों ने होंडा कंपनी के साथ अपना करार खत्म किया। इसके करार के खत्म होने के बाद हीरो ने अपना खुद का हीरो मोटोकॉर्प शुरू किया।
अब नई पीढ़ी के हाथ में है कम्पनी
इतने उचाईयों तक इस कम्पनी को पहुँचाने वाले मुंजाल भाई अब इस दुनिया में नहीं हैं. चारों भाईयों में सबसे बड़े भाई का निधन 1960 के दशक में ही हो गया था. बाकी बचे तीनों भाईयों की मृत्यु साल 2015 और 2016 के बीच हो गई. अब हीरो कम्पनी की बागडोर इनकी नई पीढ़ी संभाल रही हैं. फ़िलहाल कंपनी की पूरी बागडोर ओपी मुंजाल के बेटे पंकज मुंजाल के कन्धों पर हैं.
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