हाल ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हैं. जिसमे एक महिला को हॉस्पिटल में नवाज़ पढ़ते दिखाया गया हैं. जिसके बाद महिला के खिलाफ पुलिस कम्प्लेन के गयी. कुछ लोगों ने इस तर्क पर पुलिस कम्प्लेन की कि “सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना करना अवैध हैं.” आइये जानते हैं क्या हैं पूरा मामला.
अस्पताल में नवाज़ पढ़ रही थी महिला
आपको बता दे कि उत्तर-प्रदेश के प्रयागराज़ के एक सरकारी अस्पताल में एक वार्ड के बाहर एक महिला का नवाज़ पढ़ते हुए वीडियो वायरल हो गया जिसके बाद से ही कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई। महिला का ये वीडियो जैसे ही वायरल हुआ इस पर हंगामा खड़ा हो गया. इसी हंगामे के बाद पुलिस ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया। इस मामले को सबसे पहले स्थानीय पुलिस ने अपने हाथ में लिया। इस मामले पर पूछने पर उनका कहना था कि जांच अभी चल रही हैं. हालाँकि कुछ देर बाद उन्होंने जांच रिपोर्ट साँझा की.
जांच में पाया गया कि
इस जांच में पाया गया कि महिला बिना किसी गलत इरादे और बिना किसी के काम में बाढ़ा डाले नवाज़ पढ़ रही थी. वह अपने संबंधी के ठीक होने के लिए नवाज़ पढ़ रही थी. अपने किसी के ठीक होने के लिए दुआ करना अपराध के किसी भी श्रेणी में नहीं आता हैं. ऐसा पुलिस ने अपनी जांच में कहा.
Police has booked a Muslim woman in UP, India because she was praying Namaz in a hospital while visiting her relatives admitted there. pic.twitter.com/OCukuAQFme
— Ashok Swain (@ashoswai) September 23, 2022
अस्पताल के अधिकारी का कहना हैं
हालाँकि इस मामले पर ‘तेज बहादुर सप्रू अस्पताल’ के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एमके अखौरी ने कहा है कि “हमने वार्ड में इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी की है। यह एक सार्वजनिक स्थान है।”
डेंगू मरीज़ की परिचारक थी महिला
आपको बता दे कि नवाज़ पढ़ने वाली इस महिला की पहचान तेज बहादुर सप्रू अस्पताल के डेंगू वार्ड में भर्ती एक मरीज के परिचारक के रूप में हुई हैं। पुलिस के अधिकारी का कहना है कि “हमने सभी वार्ड प्रभारियों को निर्देश दिया है कि वे इस तरह की अनुमति न दें। हमने महिला से कहा कि वह भी दोबारा ऐसा न करें। जांच रिपोर्ट आने के बाद हम आगे की कार्रवाई पर फैसला करेंगे।”
आपराधिक कृत्य नहीं था
लेकिन बाद बाद में पुलिस अधिकारी के तरफ से स्पष्ट किया गया कि इस अधिनियम में किसी भी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है क्योंकि “यह एक आपराधिक कृत्य नहीं था”।