ओल्ड मॉन्क रम 1954 में लांच किया गया था. यह एक डार्क रम है. इसमें शराब की मात्रा 42.8 प्रतिशत होती है. इस रम का उत्पादन उत्तर-प्रदेश के गाजियाबाद में होता हैं. भारत में सभी वर्गों के लोगों में यह रम उनका पसंदीदा होता हैं. इसका मूल्य इतना काम है कि इसे कोई भी खरीद सकता हैं. भारत में यह हर उम्र के लोगों में इतना पसंदीदा है की, यहाँ सब इसे ‘बूढ़ा साधु’ कहते हैं.
इसमें मौजूद सामग्री जैसे कि वनीला, किशमिश और दूसरे मसाले का फ्लेवर कुछ ऐसा है कि यह लोगों को अपनी आदत बना लेती हैं. कुछ लोग ऐसा भी कहते है कि जिस तरह से कोई भी मेडिसन शरीर के बाहरी जख्मों को ठीक करता है, ठीक वैसे ही ओल्ड मॉन्क शरीर के अंदरूनी और दिल के जख्मों पर असर करती है.
50-60 के दशक से चलता आ रहा हैं ओल्ड मॉन्क
आपको बता दे कि ओल्ड मॉन्क ने कभी भी अपना प्रचार करने के लिए विज्ञापन पर पैसा नहीं बहाया। सिर्फ माउथ पब्लिसिटी के सहारे ही ओल्ड मॉन्क भारत का ‘नेशनल ड्रिंक’ बना. 50-60 के दशक में ओल्ड मॉन्क उस वक़्त बाजार में कदम रखा जब हरक्यूलिस जैसे रम ब्रांड का बाजार में दबदबा था. फिर भी ओल्ड मॉन्क ने बाजार में अपनी अलग पहचान बनाई। बाजार में आने के बाद से ही यह आर्मी कैंटीन में भी उपलब्ध था.
पुराने लोगों का यह भी मानना है कि यह रम आर्मी में उपलब्ध होने के कारण ही युवाओं में यह इतना प्रचलित हुआ. धीरे-धीरे लोगों पर इसका खुमार ऐसा चढ़ा कि यह भारतीय बाज़ारों में शीर्ष स्थान पर पहुँच गया. भारत में इस ड्रिंक को लेकर एक वक़्त ऐसा था जब हर बार तथा रेस्त्रा में ओल्ड मॉन्क विथ कोक आर्डर होने वाला एक सबसे आम ड्रिंक था. इस रम का खुमार कुछ ऐसा था कि, उस वक़्त और शायद अब भी भारत के हर एक घर में ओल्ड मॉन्क की चौकोर बोतल में मनी प्लांट लटके नज़र आते थे.
जिन जिन चीज़ों ने अपने बड़े होने का अहसास कराया उनमें से एक थी #OldMonk। हम आठ दोस्तों ने मिलकर सोलन से एक छोटी बोतल ली और दोपहर के वक़्त पहाड़ के पीछे जाकर एक एक पेग पिया। बचपन से जवानी का वो क़दम आज भी याद है। धन्यवाद #KapilMohan जी उन यादों के लिए।आप याद रहोगे।चीयर्स।🥂🍷
— Anupam Kher (@AnupamPKher) January 9, 2018
आइये जानते हैं इसके इतिहास के बारे में
आपको बता दे कि ओल्ड मॉन्क को मोहन मीकिन लिमिटेड नामक कंपनी ने बनाया था। 2018 में जब इस चेयरमैन ब्रिगेडियर कपिल मोहन(आर्मी से रिटायर्ड ) का निधन हुआ तब यह बात चर्चा में आई कि ओल्ड मॉन्क के जनक कपिल मोहन ही हैं. लेकिन यह महज एक अफवाह थी. क्यूंकि ओल्ड मॉन्क के असली जनक वेद रतन मोहन थे. वेद रतन मोहन राज्यसभा के सांसद होने के साथ-साथ दो बार लखनऊ के मेयर भी रहे हैं. इसके साथ ही साथ वो फिल्म सेंसर बोर्ड इ चेयरमैन भी रहे हैं.
बेनेडिक्टिन संतों से मिली इस शराब को बनाने प्रेरणा
बता दे उनकी यह कम्पनी(मोहन मीकिन लिमिटेड) पहले उनके पापा की थी. अपने पिता से कम्पनी की बागडोर लेने के बाद उन्होंने 1954 में ओल्ड मॉन्क को लांच किया था. कंपनी की बागडोर संभालने से पहले वेद रतन मोहन यूरोप गए थे. वहां उन्होंने बेनेडिक्टिन संतों की जीवन शैली और उनके शराब बनाने के तकनीक से काफी प्रभावित हुए.
ऐसा माना जाता है कि बेनेडिक्टिन संतों से प्रभावित होकर उनके सम्म्मान में वेद रतन मोहन ने अपने इस रम का नाम ओल्ड मॉन्क रखा. अगर आपको ओल्ड मॉन्क रम और बेनेडिक्टिन संतों के बारे और भी दिलचस्प बातें जाननी है तो आप ज्ञान शंकर की किताब ‘ओल्ड मॉन्क’ पढ़ सकते हैं.
यहाँ से मिली बोतल के डिज़ाइन की प्रेरणा
बता दे कि वेद रतन मोहन को ओल्ड पार स्कॉच व्हिस्की की बोतल बहुत पसंद थी. इसी बोतल से प्रेरणा लेकर उन्होंने ओल्ड मॉन्क की बोतल डिज़ाइन की. उस वक़्त इस प्रकार के बोतल में रम की पैकिंग बेहद ही मुश्किल थी. इस बोतल में रम को भरते समय काफी बोतल टूट या ख़राब हो जाती थी. जिसको देखते हुए बोतल में रम को भरने की प्रक्रिया को दुरुस्त किया गया. बोतल को कॉपी करने के इलज़ाम में वेद रतन मोहन पर ‘ओल्ड पार’ के मालिक ने उनपर केस कर दिया। जिसके बाद यह फैसला हुआ की ओल्ड पार गहरे रंग के बोतल में अपना शराब बेचेगी। वही ओल्ड मॉन्क ट्रांसपरेंट बोतल में अपना रम बेचेंगी।
बोतल पर दिखता है इनका फोटो
आज भी ओल्ड मॉन्क इसी बोतल में बेची जाती हैं. आग आपने ध्यान से इसके बोतल को देखा होगा तो इस पर आपको एक गोलमटोल शख्स का फोटो दिखेगा। आपको बता दे की यह सख्स एचजी मीकिन का है. एचजी मीकिन वह सख्स हैं जिन्होंने एक विदेशी व्यक्ति से इस शराब की कंपनी को खरीदा था. कम्पनी के नाम में मीकिन इन्हीं के नाम से आता हैं.
पहली थी अंग्रेजी कंपनी
बात साल 1855 की है, जब एक अंग्रेज एडवर्ड अब्राहम डायर ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में एक बियर कारखाना लगवाया। यहाँ उन्होंने लायन बीयर तैयार की जो काफी मशहूर हुई. जब भारत आज़ाद हुआ तब एचजी मीकिन ने अब्राहम डायर से उनका यह कारखाना खरीद लिया। एचजी मीकिन ने कारखाना खरीदने के बाद इसका नाम रखा ‘डायर मीकिन ब्रूरीज लिमिटेड’. इसके बाद वीर रतन मोहन के पिता ने इस पर अपना अधिग्रहण कर लिया। और फिर उन्होंने कंपनी का नाम रखा ‘मोहन मीकिन’.
ये हैं कंपनी के मालिक
ओल्ड मॉन्क के लांच के 45 साल बाद वीर रतन मोहन का निधन हो गया. और फिर इस कंपनी बागडोर ब्रिगेडियर कपिल मोहन ने संभाली। साल 2018 में कपिल मोहन के निधन के बाद इस कम्पनी की बागडोर उनके वंशज हेमंत मोहन और विनय मोहन के पास आ गई.
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